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Ayodhya: राम मंदिर के प्रवेश द्वारों का होगा नामकरण, आंदोलन में अहम भूमि‍का निभाने वाले नायकों के नाम पर लगेगी मुहर

60% कार्य पूरा, जून 2025 तक होगा पूरा राम मंदिर का निर्माण, प्रवेश द्वारों का नाम संतों के नाम पर रखा जाएगा।

Ravi Rohan
  • Dec 29 2024 3:00PM

राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी साधु-संतों के नाम पर मंदिर के चारों प्रमुख प्रवेश द्वारों का नाम रखा जाएगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के सुझाव पर मंदिर निर्माण समिति की बैठक में इस पर सहमति बनी है। जल्द ही नामकरण प्रक्रिया की शुरुआत की जाएगी, जिसके बाद इसे लागू किया जाएगा। यह जानकारी शनिवार को मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने पत्रकारों से साझा की।

निर्माण कार्य का निरीक्षण और प्रगति की समीक्षा

मंदिर परिसर में चल रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण भी किया गया। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य, कार्यदायी एजेंसियों के अधिकारी और अभियंता एकत्र होकर मंदिर निर्माण की प्रगति पर चर्चा करने के लिए बैठक में शामिल हुए। इस दौरान प्रत्येक मंदिर के निर्माण की स्थिति की जानकारी ली गई और अवशेष कार्यों का जायजा लेकर उनका अनुमानित समय तय किया गया।

60 प्रतिशत कार्य हो चुका है पूरा

अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि मंदिर परिसर के परकोटे में अब केवल तीन लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगना बाकी है। पहले कुल 8 लाख 40 हजार क्यूबिक फीट पत्थर लगाने का लक्ष्य था, इस प्रकार अब तक 60 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। इस गति को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि जून 2025 तक परकोटे और इसमें बन रहे छह मंदिरों का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा।

पुष्करिणी सरोवर निर्माण की शुरुआत

नृपेंद्र मिश्र ने आगे बताया कि राम मंदिर के प्रथम और द्वितीय तल की फिनिशिंग का काम चल रहा है। इसके अलावा, राम दरबार की स्थापना का कार्य भी जल्द शुरू होने वाला है। जनवरी के पहले सप्ताह में जयपुर में बन रही सभी मूर्तियों का अंतिम निरीक्षण किया जाएगा। साथ ही, सप्तर्षियों के मंदिरों के बीच स्थित पुष्करिणी सरोवर का निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है और डिज़ाइन पर चर्चा पूरी हो चुकी है।

बैठक में शामिल लोग

इस बैठक में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, राम मंदिर के व्यवस्थापक गोपाल राव, आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा, टाटा कंसल्टेंसी के परियोजना निदेशक वीके शुक्ल, एलएंडटी के परियोजना निदेशक वीके मेहता सहित कई अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति उपस्थित थे।

मनमोहन सिंह ने दी थी विकसित भारत की दिशा

पूर्व आईएएस अधिकारी और मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने 1991 में ही विकसित भारत की आधारशिला रखी थी। उन्होंने यह भी बताया कि वह खुद डॉ. मनमोहन सिंह के अधीन कार्य कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब हम कहते हैं कि वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित देश होगा, तो इसका श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री के वित्त मंत्री रहते हुए किए गए कार्यों को जाता है।

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