आमलकी एकादशी 2025 का पर्व 10 मार्च को मनाया जाएगा। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। आमलकी एकादशी का व्रत पूरे भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ किया जाता है, और इस दिन विशेष रूप से आमलक (आंवला) का पूजन किया जाता है। आमलकी एकादशी का महत्व शास्त्रों में स्पष्ट रूप से बताया गया है और इसे विशेष रूप से पुण्यदायिनी माना गया है।
भगवान विष्णु का पाठ और पूजा विधि
स्नान और व्रत का आरंभ: आमलकी एकादशी के दिन प्रातः काल उबटन और स्नान करके व्रत की शुरुआत करें। व्रति को सुबह सूर्योदय से पूर्व उबटन करके स्नान करना चाहिए। इसके बाद शुद्ध व्रतधारी होकर भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
आंवला पूजन: इस दिन आंवला (आमलकी) का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। इसे भगवान विष्णु का प्रिय फल माना जाता है। पूजा में आंवला को साफ करके भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति के पास रखें और उसे पंचामृत से स्नान कराएँ। फिर उसे सिंदूर, कुमकुम, फूल, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें।
मंत्र जप: भगवान विष्णु के मंत्रों का जप इस दिन विशेष फलकारी माना जाता है। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" और "ॐ श्री विष्णवे नमः" जैसे मंत्रों का जप करें। 108 बार इस मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
व्रत का पालन और रात्रि जागरण: इस दिन विशेष रूप से व्रति रात्रि जागरण भी करते हैं। रातभर भगवान विष्णु की कथा का श्रवण और कीर्तन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही रात्रि जागरण से शरीर और आत्मा में विशेष ऊर्जा का संचार होता है।
दीन-हीन और ब्राह्मणों को दान: आमलकी एकादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें वस्त्र, अन्न और दक्षिणा देने का विशेष महत्व है। दान के साथ-साथ गरीबों और जरूरतमंदों को भी अपनी सामर्थ्यानुसार मदद करनी चाहिए।
आध्यात्मिक लाभ और पुण्य
आमलकी एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो मानसिक शांति, भौतिक सुख-संपत्ति और मोक्ष की प्राप्ति के इच्छुक हैं। यह व्रत मनुष्य के पापों का नाश कर देता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है। इसके साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु के दिव्य नामों का जाप करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और मनुष्य अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करता है।