हिंदुओं को बांटने चली कांग्रेस की स्थिति अब खुद ही बंटती हुई दिख रही है। कांग्रेस पार्टी इन दिनों अपने ही नेताओं के बयानों से घिरती जा रही है। ताजा मामला वीरशिरोमणि महाराणा सांगा जी को लेकर भड़के विवाद का है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने हाल ही में महाराणा सांगा जी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसके बाद सियासी पारा आसमान छूने लगा। यह बयान न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गया है।
राजपूत समाज से जुड़े संगठनों ने खुलकर विरोध दर्ज कराया है और कांग्रेस से सार्वजनिक माफी की मांग कर डाली है। बताया जा रहा है कि, आज रात 9 बजे देशभर के राजपूत जनप्रतिनिधि ज़ूम मीटिंग के जरिए रणनीति तय करेंगे।
कांग्रेस के अंदर उठ रही इस सुनामी को अब दबाना आसान नहीं दिख रहा। ये केवल एक विरोध नहीं है, ये एक चेतावनी है- महायोद्धा राणा साँगा जी के अपमान पर चुप्पी साधने वाली कांग्रेस अब अपने ही नेताओं के निशाने पर है। राजपूत नेता साफ कर चुके हैं कि, विद्रोह पार्टी से नहीं, पार्टी के भीतर बैठे उन तत्वों से है जो समाज और संस्कृति के अपमान के दोषी हैं। यह अंदरूनी क्रांति की शुरुआत हो सकती है।
दरअसल, कांग्रेस के नेता ने गुजरात के कर्णावती (अहमदाबाद) अधिवेशन के दौरान महाराणा सांगा जी के युद्ध कौशल और नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने राणा सांगा जी की वीरता को लेकर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि "इतिहास में कई ऐसे राजा हुए, जिन्होंने गलत फैसले लेकर युद्ध हार दिए।" इस बयान ने कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं, खासतौर पर राजस्थान जैसे राज्यों में जहां राजपूत समाज का प्रभाव निर्णायक है।
कांग्रेस में अब अंदरूनी घमासान भी तेज हो गया है। कुछ नेता जहां इस बयान का बचाव कर रहे हैं, वहीं कई वरिष्ठ नेताओं ने इसे ‘अविवेकपूर्ण’ बताते हुए सार्वजनिक रूप से आलोचना की है। पार्टी आलाकमान ने भी स्थिति को गंभीरता से लेते हुए डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है।
यह विवाद ऐसे समय पर भड़का है जब कांग्रेस चुनावी मोड में है। ऐसे में सवाल उठ रहा है: क्या कांग्रेस अपने ही नेताओं की ‘जुबानी जंग’ से अपने अभियान को कमजोर कर रही है? जवाब वक्त देगा, लेकिन फिलहाल कांग्रेस के लिए यह घाव गहरा साबित हो रहा है।