बिहार के बांका जिले के ढेबाकोलिया गांव से एक घर वापसी की खबर सामने आई है, जिसमें सोना लाल मरांडी और उनके परिवार ने ईसाई छोड़कर सनातन धर्म में घर वापसी की। यह कदम उनके जीवन के एक दर्दनाक अनुभव के बाद उठाया गया। दरअसल, जब सोना लाल लकवाग्रस्त हो गए थे और उन्होंने यह उम्मीद जताई थी कि ईसाई धर्म में दी जाने वाली चंगाई के जरिए उनका इलाज हो जाएगा। लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हुई और उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
ईसाई परिवार ने की घर वापसी
सोना लाल के अनुसार, वह ईसाई धर्म को अपनाकर यह सोचकर चर्च गए थे कि उनकी बीमारी ठीक हो जाएगी। हालांकि, इलाज के नाम पर कोई फायदा नहीं हुआ, और उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। उन्हें यह महसूस हुआ कि चर्च द्वारा दिए गए वादे झूठे थे, यह निराशा उनके परिवार पर भी भारी पड़ी और उन्होंने यह फैसला लिया कि वे अब ईसाई धर्म से बाहर निकलकर अपने पुरानी पहचान को फिर से अपनाएंगे।
गंगा नदी में स्नान कर के अपनाया सनातन
सोना लाल मरांडी, उनकी पत्नी फूलमनी और उनकी बेटी मर्शिला ने मिलकर गंगा नदी में स्नान करने का फैसला लिया। इसके बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया और अपने घर में देवी दुर्गा की तस्वीर रखकर रोजाना पूजा-पाठ शुरू की।
घर वापसी के बाद सोना लाल ने बताया कि मेरे पिता ने ईसाई धर्म अपनाया था, इसलिए मैं भी ईसाई बन गया। साथ ही उन्होंने कहा कि जब मुझे कोई फायदा नहीं हुआ, तो चंगाई दिलाने का सारा ढोंग बेनकाब हो गया। आगे उन्होंने बताया कि कैसे ईसाई मिशनरियों ने उन्हें बीमार अवस्था में छोड़ दिया। फिर इसके बाद ही उन्होंने वापस हिंदू धर्म में आने का निर्णय किया।