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आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते भारतीय सेना एविएशन में महिला अधिकारियों का योगदान, भविष्य की युद्धक तैयारियों में लिंग-समानता का नया अध्याय

एरो इंडिया 2025 में भारतीय सेना एविएशन की उन्नति, आत्मनिर्भरता के रोडमैप में महिला अधिकारियों का ऐतिहासिक योगदान और तकनीकी विकास।

Ravi Rohan
  • Feb 11 2025 3:39PM

एरो इंडिया 2025 भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन में हुई प्रगति को प्रदर्शित करने और आधुनिक सुरक्षा खतरों का सामना करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हो रहा है। इस बार के आयोजन में आत्मनिर्भरता (Aatmanirbharta) पर जोर दिया जा रहा है, जिसमें भारतीय सेना एविएशन को एक ऐसे तकनीकी रूप से उन्नत और पूरी तरह से स्वतंत्र शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।

विजन 2047: सेना एविएशन का भविष्य

भारत 2047 तक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हुए सेना एविएशन को एक ऐसी शक्तिशाली, तकनीकी रूप से उन्नत और बहु-डोमेन युद्ध में समाहित ताकत के रूप में देखता है। इसे हासिल करने के लिए निर्धारित रोडमैप में शामिल हैं:

-हेलीकॉप्टर और यूएवी (Unmanned Aerial Vehicles) सहित एविएशन संसाधनों का पूरी तरह से स्वदेशीकरण।

-अगली पीढ़ी के लड़ाकू हेलीकॉप्टर और ए.आई.-सक्षम ड्रोन का विकास, जो ऑपरेशनल दक्षता को बढ़ाएंगे।

-आधुनिक युद्ध परिवेश में एविएशन संसाधनों का सहज एकीकरण, जिससे युद्ध में निर्णायक बढ़त प्राप्त हो।

-खुफिया, निगरानी और पहचान (ISR), लॉजिस्टिक्स और युद्ध सहायता जैसे क्षेत्रों में सेना एविएशन की भूमिका का विस्तार, जिससे सैन्य संचालन में इसका महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित हो।

जेंडर न्यूट्रलिटी की दिशा में कदम

भारतीय सेना एविएशन को महिला अधिकारियों के समावेश में अग्रणी माना जाता है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए, सेना ने ‘नारी शक्ति’ को मान्यता दी है, और विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिका में महिला अधिकारियों की नियुक्ति की है। यह पहल न केवल भारतीय सेना की जेंडर न्यूट्रलिटी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि महिलाओं को युद्धक एविएशन में उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर भी देती है, जो पहले एक पुरुष प्रधान क्षेत्र था।

महिला अधिकारियों की ऐतिहासिक भूमिका

2022 में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत महिला अधिकारियों को हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में युद्धक उड़ान भूमिकाओं में शामिल किया गया। इस कदम ने लंबे समय से चले आ रहे संदेहों को खत्म किया और महिलाओं के युद्धक अभियानों में सक्रिय भागीदारी के लिए एक नई मिसाल कायम की। मेजर अभिलाषा बराक, जो इस कैडर की एक प्रमुख सदस्य हैं, ने अपनी प्रशिक्षण में उत्कृष्टता दिखाई और सिल्वर चीता ट्रॉफी प्राप्त की, जिसमें उन्होंने अपने उड़ान कोर्स में कुल मिलाकर पहले स्थान पर रही।

महिला अधिकारियों की सेवाएं

महिला अधिकारियों का समावेश केवल रोटरी-विंग विमानों तक सीमित नहीं रहा। इन्हें रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS) में भी ऑब्जर्वर पायलट के रूप में शामिल किया गया है। वर्तमान में, सेना एविएशन में महिला अधिकारियों की संख्या है:

-एयर ट्रैफिक कंट्रोल ड्यूटी में 13 महिला अधिकारी,

-RPAS संचालन में 8 महिला अधिकारी,

-उड़ान ड्यूटी में 9 महिला अधिकारी, जो विभिन्न सेना एविएशन स्क्वाड्रनों में सक्रिय रूप से सेवाएं दे रही हैं।

महिला अधिकारी सक्रिय क्षेत्रीय इलाकों में भी तैनात हैं, जहां उन्हें वास्तविक समय में संचालनात्मक मिशनों को पूरा करना होता है। इन मिशनों में अपूर्व स्थिति जागरूकता, संचार दक्षता, मानसिक कौशल और निर्णायक नेतृत्व की आवश्यकता होती है। इन महिला अधिकारियों का प्रदर्शन उनके पुरुष समकक्षों के बराबर रहा है, जिससे भारतीय सेना की युद्धक तैयारियों को और भी मजबूती मिली है।

भविष्य की दिशा

भारतीय सेना महिला अधिकारियों की क्षमता को पहचानते हुए उन्हें निरंतर मार्गदर्शन और सशक्तिकरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे अपने पूरे युद्धक क्षमता तक पहुंच सकें। सेना एविएशन का भविष्य तकनीकी उत्कृष्टता, स्वदेशी क्षमता और लिंग-समानता के विकास का है, जिससे भारतीय आसमान सुरक्षित रहे और हमारी सेनाएं हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहें।


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