केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज यानी गुरुवार को गुजरात विश्वविद्यालय परिसर में हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का उद्घाटन करते हुए महाकुंभ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन है, जो सद्भाव और एकता का गहरा संदेश देता है। शाह ने यह भी बताया कि महाकुंभ में कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के गंगा स्नान कर सकता है।
महाकुंभ: एक अद्वितीय आयोजन
अमित शाह ने कहा कि प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ ने अपनी विशालता और अद्वितीयता से दुनिया भर को हैरान कर दिया है। उन्होंने यह भी साझा किया कि विभिन्न देशों के राजदूतों ने इस आयोजन में भाग लेने के लिए औपचारिक निमंत्रण की मांग की थी। गृहमंत्री ने कहा, "मैंने उनसे कहा कि महाकुंभ के लिए कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं होता, क्योंकि करोड़ों लोग ग्रहों की स्थिति के अनुसार एक विशेष समय पर वहां एकत्र होते हैं।"
सद्भाव और एकता का संदेश
अमित शाह ने महाकुंभ के आयोजन के बारे में बताते हुए कहा कि यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सद्भाव और एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में किसी भी व्यक्ति से उसके धर्म, जाति या समुदाय के बारे में नहीं पूछा जाता। "यहां हर कोई बिना किसी भेदभाव के भोजन करता है और स्नान के बाद वापस घर लौट सकता है," उन्होंने कहा।
प्राकृतिक व्यवस्थाओं की विशेषता
गृहमंत्री ने यह भी बताया कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु होने के बावजूद महाकुंभ में किसी भी होटल में ठहरने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि गंगा के किनारे तंबू लगाए जाते हैं, जहां सभी तीर्थयात्रियों के रहने की व्यवस्था होती है। उन्होंने कहा कि यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है, यहां तक कि मुग़ल और ब्रिटिश काल में भी, और जब कांग्रेस सत्ता में थी तब भी यह व्यवस्था बनी रही।
युवाओं से अपील
अमित शाह ने गुजरात की जनता, खासकर युवा पीढ़ी से महाकुंभ में भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि वह खुद 27 जनवरी को गंगा स्नान करने के लिए महाकुंभ जाएंगे।