बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिहादियों द्वारा लगातार हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है और धार्मिक आस्थाओं का अपमान किया जा रहा है। हिंदू नेताओं के खिलाफ ईशनिंदा के आरोप लगाए जा रहे हैं, जबकि बांग्लादेश में जगह-जगह पर हिंसक घटनाएँ घट रही हैं। इसके बावजूद बांग्लादेश का मीडिया ऐसी रिपोर्टें पेश कर रहा है, जिनमें दावा किया जा रहा है कि मुहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार में अल्पसंख्यक ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
मीडिया का सर्वे और उसकी वास्तविकता
बांग्लादेश के मीडिया में कई प्रमुख आउटलेट्स ने ‘वॉयस ऑफ अमेरिका’ (VOA) द्वारा किए गए एक सर्वे का हवाला दिया है। इस सर्वे में दावा किया गया है कि बांग्लादेशी अल्पसंख्यक युनूस सरकार के तहत सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हालांकि, सर्वे में ये बताया गया है कि यह सर्वे बांग्लादेश की मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी से लिया गया था। यानी, अल्पसंख्यकों की स्थिति के बारे में उनसे पूछा ही नहीं गया, जो खुद इस हिंसा और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
सर्वे के निष्कर्ष और उनकी सच्चाई
इस सर्वे में 1,000 लोगों को शामिल किया गया था, जिनमें से 92.7% मुस्लिम थे। उनके अनुसार, 64.1% लोग मानते हैं कि वर्तमान अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को बढ़ा रही है। वहीं, केवल 15.3% ने इसे खराब बताया और 17.9% ने कहा कि स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। हालांकि, जब इसी सर्वे में गैर-मुसलमानों से पूछा गया, तो 33.9% ने कहा कि सुरक्षा स्थिति पहले से खराब हुई है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सर्वे में बहुसंख्यक आबादी की राय को अधिक महत्व दिया गया, जबकि अल्पसंख्यकों की वास्तविक स्थिति की अनदेखी की गई।
हिंदू समुदाय की दुर्दशा
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का हाल बद से बदतर होता जा रहा है। हाल ही में हुए हमलों में इस्लामी कट्टरपंथियों ने न केवल हिंदू घरों को जलाया, बल्कि उनके सामानों को लूटा, महिलाओं से दुर्व्यवहार किया और कई हत्याएँ की। बांग्लादेशी झंडे के अपमान के आरोप में एक हिंदू नेता, कृष्ण दास, को गिरफ्तार कर लिया गया और उनपर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया। इसके बाद उन्हें देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया गया।
युनूस सरकार के तहत असुरक्षा की स्थिति
बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं और समुदाय के कई सदस्य सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा और मदद की अपील करते नजर आते हैं। युनूस सरकार के आने के बाद भी उनके खिलाफ हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही। बड़े कलाकारों को निशाना बनाया गया, उनके घरों को जलाया गया और उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर किया गया। सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और यह बयान दिया गया कि छात्र आंदोलन से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी।
मीडिया का असल उद्देश्य और वास्तविकता
जब बांग्लादेश का मीडिया अंतरिम सरकार के पक्ष में रिपोर्ट्स पेश करता है, तो उसकी सच्चाई अक्सर छुपी रहती है। वॉयस ऑफ अमेरिका जैसे सर्वे के हवाले से एक सुरक्षित वातावरण का दावा किया जाता है, लेकिन जब वास्तविक घटनाओं की बात होती है, तो अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहद चिंताजनक है, और यह कहना मुश्किल है कि वर्तमान सरकार उनके लिए सच में कोई सुरक्षा प्रदान कर रही है। मीडिया के एक पक्षीय दृष्टिकोण और सच्चाई से मुंह मोड़ने से केवल असल मुद्दों पर पर्दा डाला जा रहा है, जबकि ज़रूरत इस बात की है कि अल्पसंख्यकों की आवाज को सुना जाए और उनकी सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।