भगवान प्रभु श्रीराम को लेकर छत्तीसगढ़ में ऐसी मान्यता है कि उन्होंने 14 वर्ष के वनवास काल में से 10 वर्ष दण्डकारण्य में व्यतीत किया था. रामायण कथा के कई प्रसंगों में भगवान श्रीराम के छत्तीसगढ़ में प्रवास के वृतांत हैं. रामायण से संबंधित कई शोधकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ राज्य में श्रीराम के इस पथ को चिन्हित करने का प्रयास किया है. बताया जा रहा है जहां-जहां चरण पड़े रघुवर के” में 98 वें नंबर पर आरंग के बागेश्वर मंदिर को चिन्हित किया है. भगवान रामचंद्र जब 14 साल के वनवास के लिए अयोध्या से निकले थे, तो वे भारत के करीब 290 स्थानों से होकर गुजरे थे. आज यानी मंगलवार को रामराज्य युवा यात्रा इन स्थानों पर पहुंचेगी.
जानकारी के लिए बता दें कि भगवान श्री राम लक्ष्मण और सीता जी अपने वनवास काल में दंडकारण्य के जिन प्रमुख स्थलों में गए थे. उनमें से एक प्रमुख स्थल है महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर स्थित रामटेक.. वाल्मीकि रामायण के अनुसार ये तीनों यहां चार महीने तक रहे थे रामटेक पहले से ही ऋषि मुनियों का एक बड़ा केंद्र था. जिस समय भगवान श्री राम यहां आए थे. उस समय अगस्त मुनि यहां अपने शिष्यों के साथ तपस्या किया करते थे. इसी पावन रामटेक तीर्थ में कल यानी 1 जनवरी को राम राज्य युवा यात्रा पहुंच थे.
विश्व में जिन चार स्थानों को अखंड ब्रह्म की मान्यता दी गई है उनमें रामटेक भी एक है. ये नागपुर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है. रामटेक एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. यहां तक पहुंचने का रास्ता सागौन के घने जंगलों के बीच से होता हुआ घुमावदार पहाड़ी सड़कों पर गुजरते हुए जाता है. मंदिर में प्रवेश से पहले ही एक प्राकृतिक कुंड के दर्शन होते हैं इस कुंड का पानी एकदम पारदर्शी और स्थिर है इसके चारों तरफ बड़ी-बड़ी चट्टानें काटकर दीवार बनाई गई है. इसमें पानी कहां से आता है, यह आज तक एक रहस्य ही बना हुआ है.
मंदिर की चढ़ाई शुरू करते ही दाहिनी हाथ में सबसे पहले नजर आता है एक वराह की विशालकाय प्रतिमा है. एक पत्थर को तराश कर यह पूरी प्रतिमा बनाई गई है. इस प्रतिमा के नीचे चारों टांग के बीच में स्थान छोड़ा गया है ताकि लोग उसके नीचे से लेट कर निकल सके. मान्यता है कि जो वराह के पेट के नीचे से लेट कर निकल जाते हैं. उनकी सारी दुख तकलीफ है खत्म हो जाती है. आगे बढ़ते हुए हमें मंदिर में पूजा के लिए ताजा कमल का फूल बेचने वाले कुछ लोग मिले है.
हमने भी उनसे दो फूल खरीद लिए. फूल लेकर जैसे ही हम आगे बढ़े एक मध्यम आकार का वानर हमारी ओर लपक आया और हमारे हाथ से दोनों फूल लेकर बड़े चावल से खाने लगा. हम सब ने एक बात गौर की कि वहां कमल का फूल लेकर मंदिर जाने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं थी. लेकिन कोई भी वानर किसी भी दूसरे श्रद्धालु के हाथ से ना तो फूल छीन रहा था और ना ही उसे खाने का कोई उपक्रम कर रहा था. हमने तो यही माना कि हम माता जानकी का संदेश और पादुका लेकर श्रीलंका के अशोक वाटिका से आ रहे हैं. शायद यह बात इस वानर को पता चल गई और उसने हमारा मान रखने के लिए स्वयं अपने हाथों से हमारा फूल ग्रहण किया था.
थोड़ा और आगे बढ़ने पर वह स्थान नजर आता हैं जिसके लिए रामटेक त्रेता युग में खास पहचाना जाता था. वह स्थान है अगस्त्य मुनि की तपोस्थली है. इस मंदिर के अंदर भगवान श्रीराम की प्रतीमा तो है ही, साथ ही अगस्त्य मुनी की भी एक प्रतीमा स्थापित है. यहां अगस्त्य मुनी की अखंड ज्योति भी जल रही है. मंदिर के इस चढाई वाले रास्ते में कई मनोरंजक और रोचक नजारे देखने को मिलते हैं.
बता दें कि परिसर के दोनों तरफ प्रसाद और बच्चों के खिलौने बेचने वालों की दुकानों की कतार थी. काले मुंह वाले बड़े वानरों का पूरा दल मौजूद था. आश्चर्यजनक रूप से इनके साथ लाल मुंह वाले छोटे बंदर भी थे. अबतक तो हमने ये देखा था कि लाल मुंह वाले छोटे बंदरों को भगाने में काले मुंह वाले बड़े वानरों का इस्तेमाल होता है. लेकिन यहां तो बड़े वानर छोटे बंदरों से डरकर रहते हैं. एक ऐसा स्थान भी यहां आकर मिलता है जो उन श्रद्धालुओं के लिए है, जो पहाड़ी के नीचे से पैदल चलकर ऊपर आते हैं.
मुख्य मन्दिरों की शृंखला शुरू होती है तो लक्ष्मण जी का मंदिर सामने आता है. उसके पास में ही कौशल्या देवी का भी मंदिर है. दंडकारण्य का ये इलाका देवी कौशल्या का मायका हुआ करता था. इस तरह से ये इलाका श्रीराम का ननीहाल भी है. इसके बाद हनुमान जी का मंदिर है और फिर रामसीता का मुख्य मंदिर है. मान्यता है कि महर्षि अगस्त्य ने भगवान श्रीराम को यहां कई विद्याएं और दिव्य अस्त्रों की शिक्षा भी दी थी.
त्रिकालदर्शी अगस्त्य जान गए थे कि आगे चलकर श्रीराम को रावण का वध करना है. तोइसके लिए उन्होंने श्रीराम को अनकाई आने का आमंत्रण दिया और उनके लिए कई दिव्यास्त्र तैयार किए थे. रामटेक महाकवि कालीदास से भी जुड़ा है. कालीदास ने मेघदूत की रचना इसी स्थान पर की थी.
दिनांक 02-01-2024 कार्यक्रम
*कार्यक्रम-1*
प्रातः जागरण
*स्थान* राजनांदगांव-
*प्रेस कांफ्रेंस/मीडिया बाइट*
उसके बाद
*कार्यक्रम प्रकार* पादुका पूजन व स्वागत
*समय* 10:30 से प्रारम्भ....
राम चरण पादुका
(यहां सांसद संतोष पाण्डेय समेत अन्य जनप्रतिनिधि सम्मिलित होंगे)
शहर भ्रमण रूट
सुबह 11 बजे से शहर भ्रमण
स्थान बागेश्वर धाम मंदिर भाजपा कार्यलय के सामने
बागेश्वर धाम मंदिर से पुराना बस स्टैंड - रामाधीन श्याम मंदिर मार्ग - तिरंगा चौक - मां मंदिर - लक्ष्मी नारायण मंदिर - मानव मंदिर चौक - जय स्तम्भ चौक महावीर चौक
(संपर्क - शशि देवांगन- 94061 38940)
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*कार्यक्रम-2*
*स्थान* दुर्ग आगमन
*समय* दोपहर तीन बजे....
आगमन उपरांत स्वागत : पादुका पूजन/ स्वागत
अग्रसेन चौक, दुर्ग रेलवे स्टेशन रोड में स्वागत (छग बजरंग दल अध्यक्ष रतन यादव जी 7999004704 व टीम द्वारा) व कई हिंदू संगठन)
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*कार्यक्रम-3*
*स्थान* भिलाई आगमन
क़रीब शाम छः बजे आगमन।
DPS दशहरा मैदान में स्वागत, पूजन
BJP के विभिन्न संगठनों, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ समूह द्वारा दशहरा मैदान रिसाली में आगमन व चरण पादुका दर्शन, मंच में कार्यक्रम संगीत आदि के साथ
महापौर रहेंगी चंद्रिका सिन्हा, दुर्ग ग्रामीण विधायक भी रहेंगे, दुर्ग सांसद भी रहेंगे।
7000541338
9770780413
सुपेला चौक
*प्रकार*-स्वागत, चरण पादुका पूजन शाम सात बजे
सम्पर्क -
6263416410
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*कार्यक्रम-4*
*स्थान*
रायपुर में आगमन
रायपुर के भाठागांव चौक में वासुदेव भारत टायर के संचालक राकेश गुप्ता द्वारा स्वागत, चरण पादुका पूजन।
किसी भी जानकारी हेतु
9329905333
9691358720
श्रीराम मंदिर आगमन
उसके उपरांत
शदाणी दरबार आगमन
जानकारी हेतु सम्पर्क
9329905333/ 9691358720