वो आवाज जो आज भी गूंज जाती है कानो में, वो नाम जो सदा ध्रुव तारे की तरह अटल रहेगा भारत की फ़िज़ाओं में, वो व्यक्ति जो खुल कर कहता था कि "रग रग हिन्दू मेरा परिचय" .. यद्द्पि इस सत्य पर विश्वास करना बेहद कठिन है कि वो अब हमारे बीच मे नहीं है.
लेकिन उनके शब्द, उनकी शिक्षाओं, उनके जीवन दर्शन, उनकी जीवटता सदा सदा के लिए भारत को प्रेरणा देती रहेगी..भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए सतत प्रयास करने वाले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज जयंती है.. आज राष्ट्र याद कर रहा उस महापुरुष को जिसने अपने खुले शब्दो मे कहा था कि - "अमेरिका क्या, संसार भले ही हो विरुद्ध, पर भारत का मस्तक नही झुकेगा."
कितनी मुश्किल रही होगी उनकी राहों में, कितने कांटे बिछाए गए होंगे उनके पथ पर इसका सहज अनुमान उस समय के हालात से लगाया जा सकता है कि उस समय हिन्दू, धर्म, हिन्दुत्व आदि की बातें करना भी उन्माद माना जाता था.. कुछ नेता तो खुल कर कहते थे कि वो एक्सिडेंटल हिन्दू हैं..
लेकिन ठीक उसी समय भगवा ध्वज ले कर निकल पड़े थे अटल बिहारी जी मात्र कुछ गिने चुने लोगों को ले कर एक अलग ही पथ पर जो सत्य का था, न्याय का था, नीति का था..उस समय उनको जोर जोर से साम्प्रदायिक शक्तियों में गिना जाने लगा और पीड़ित हिन्दुओ की आवाज उठाने की उनकी कोशिश को दंगाई मानसिकता बताया जाने लगा.
महान सावरकर जी के पद चिन्हों पर चलना न जाने क्या गलत लगता था किसी को पर उनके पथ पथिक के रूप में अटल जी को भगवा वादी कहा जाने लगा..लेकिन इसी विरोध ने उनको मजबूती दी और वो स्वर्ण तप कर और भी ज्यादा चमकदार हो गया था..
ये कहना गलत नही होगा कि उनके साथ पांडवों जैसी सेना भले ही कम थी लेकिन वो अजेय हो गए थे. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं कुशल वक्ता 'भारत रत्न' अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म आज ही के दिन 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर के शिंदे का बाड़ा मुहल्ले में हुआ था.
बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर सनातन तथा भारतमाता की सेवा का संकल्प लेने वाले अटल जी हिंदुस्तान के एकमात्र ऐसे नेता रहे हैं जिनसे हर वर्ग अपना जुड़ाव महसूस करता है. अटल जी की सबसे बड़ी खासियत थी कि विकट परिस्थिति में भी हौसला नहीं खोते थे तथा दोगुने हौसले से पुनः आगे बढ़ते थे.
जब भाजपा लोकसभा चुनाव में 2 सीटें जीती थी, उस समय उन्होंने कहा था कि "सुरजन निकलेगा, अँधेरा छटेगा, कमल खिलेगा." उनका ये वाक्य भाजपा कार्यकर्ताओं में ऐसी एनर्जी पैदा किया कि 2014 में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में आई तथा 2019 में एक बार 2014 से भी ज्यादा बंपर बहुमत के साथ बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की.
16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी बाजपेयी ने जब आख़िरी सांस ली तो पूरा देश रो पड़ा था. देश ही दुनिया भी अटल जी की आख़िरी विदाई के समय नतमस्तक हो गई थी.
उनके देहावसान के अगले दिन १७ अगस्त को उनकी दत्तक पुत्री नमिता कॉल भट्टाचार्या ने मुखाग्नि दी थी. उनके निधन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उनकी अस्थियों को देश की 100 नदियों में प्रवाहित किया था और इसकी शुरुआत हरिद्वार में गंगा में विसर्जन के साथ हुई थी.
अटल बिहारी वाजपेयी को 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. वो पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी. 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली थी.
1999 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया. 16 अगस्त 2018 को अटल जी के देवलोकवासी होने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल के पास अटल जी की स्मृति में "सदैव अटल" स्मारक बनवाया.
आज अटल जी भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके विचार, उनकी चमकती हुई आभा हमेशा हिंदुस्तान के साथ रहेगी. अटल बिहारी बाजपेई चाहे संसद में बोले हों, चाहे लालकिले से बोले हों या संयुक्त राष्ट्र में उनका हिन्दी में दिया गया भाषण हो..
हर बार अटल जी ने अपनी वाक्पटुता से न सिर्फ देश में नई ऊर्जा का संचार किया बल्कि आमजनमानस के मन को भी मोह लिया. सुदर्शन परिवार आदरणीय अटल जी की जन्मजयंती पर उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है, उन्हें नमन वंदन करता है. अटल जैसा न कोई हुआ न होगा.