उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली में एक शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करना और लोगों को उपदेश देना अब एक शगल बनता जा रहा है। इस प्रकार के कार्यों से देश में अराजकता फैल सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम इस चीज को अलविदा कहें।
जगदीप धनखड़ ने क्या कहा?
धनखड़ ने कहा कि यहां तक कि जो लोग राजनीति की दृष्टि से भी संविधान के लिए महत्वपूर्ण हैं, वह भी संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने और लोगों को उपदेश देने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैं अत्यंत संयम के साथ यह भी कहना चाहता हूं कि अब वक्त आ गया है कि हमारे अभिजात वर्ग को अपने कर्तव्यों का एहसास हो। मैं उनसे अपील करता हूं कि आप राष्ट्रीयता के जोश से प्रेरित हों।
भूतपूर्व छात्रों की भी अहम भूमिका होती है
जगदीप धनखड़ ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में भूतपूर्व छात्रों की भी अहम भूमिका होती है। संस्थान के पुराने छात्र कई तरह से उसकी धुरी होते है। मैं उनसे भूतपूर्व छात्रों के संघों के लिए सक्रिय रुप से योगदान देने का अनुरोध करता हूं। उपराष्ट्रपति ने एक भूतपूर्व छात्रों का फंड बनाने की भी सिफारिश की ताकि यह फंड शिक्षण संस्थाओं के विकास में सहायक हो सके। जगदीप धनखड़ ने कहा कि कई प्रमुख वैश्विक संस्थाएं इस तरह के योगदान की वजह से ही ऊंचाईयों तक पहुंच पाई हैं।