पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दिया गया था। दरअसल, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटले से जुड़े सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए ममता सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाए है। कोर्ट ने कहा कि, "सरकार किसी शख्स को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है।"
कोर्ट ने क्या कहा ?
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने ममता सरकार से कई सवाल किए। पीठ ने पूछा कि, राज्य सरकार को इस मामले में इतनी दिलचस्पी क्यों है ? आखिरकार राज्य सरकार किसी को बचाना क्यों चाहती है ?
दरअसल, संदेशखाली में TMC से निष्कासित नेता शाहजहां शेख पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोप लगे थे। इस मामले में विपक्ष ने ममता सरकार पर जमकर निशाना साधा था। हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में TMC ने चुनौती दी है।
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है। इससे पहेल भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना चुकी है। दरअसल 29 अप्रैल को सुनवाई हुई थी, तब जस्टिस गवई ने कहा था, किसी व्यक्ति को बचाने के लिए राज्य सरकार याचिकाकर्ता के तौर पर क्यों आई है? इस पर ममता सरकार के वकील जयदीप गुप्ता ने कहा था, "राज्य सरकार की लगातार कार्रवाई के बावजूद ये कमेंट आया है।"
सरकार के तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले में सुनवाई टालने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि, किसी अन्य वजह से ये याचिका लगाई गई है। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि, सिर्फ संदेशखाली ही नहीं यह याचिका राशन घोटाले से भी जुड़े है। जिसमें 43 FIR दर्ज है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच उनकी दलील पर सहमत नहीं हुई और याचिका खारिज कर दिया।