कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। हर साल यह दिन दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है लेकिन इस साल दिवाली की तिथि भी 2 दिवसीय हो जाने से गोवर्धन पूजा की सही तिथि को लेकर कंफ्यूजन होने लगी है। इस दिन भगवान कृष्ण को अनाज से बना भोग लगाते हैं, साथ ही गाय और बैलों का पूजन भी किया जाता है और गोबर से गोवर्धन भगवान बनाकर उनकी पूजा और परिक्रमा की जाती है। यहां जानिए इस साल गोवर्धन पूजा की सही तिथि है और किस शुभ मुहूर्त में पूजा की जाएगी है।
शुभ मुहूर्त
यह पर्व भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की स्मृति में मनाया जाता है, जब उन्होंने इंद्र देवता के क्रोध से गोकुलवासियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 1 नवबंर यानी आज शाम को 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 2 नवंबर यानी कल रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय के बाद से शुरू होता है और विशेषकर प्रात:कालीन समय में इस पूजा का आयोजन करना लाभदायक होता है। इस वर्ष, गोवर्धन पूजा का मुख्य मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे के बीच रहेगा।
पूजा की विधि
पूजा स्थल की तैयारी: सबसे पहले, पूजा स्थान को स्वच्छ करें और वहां गोबर से बने गोवर्धन की आकृति बनाएं। इसे अच्छे से सजाएं और चारों ओर फूलों, रंगोली और दीयों से सजाएं।
गोपियां और भगवान कृष्ण की प्रतिमा: गोवर्धन के साथ-साथ भगवान कृष्ण और राधा की प्रतिमा या तस्वीर रखें। इसे भी सजाने के लिए फूलों और मिठाइयों का उपयोग करें।
नैवेद्य अर्पित करना: पूजा में विशेष तौर पर विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग अर्पित करें। जैसे चूरमा, लड्डू, दही, मिठाई आदि।
अर्चना और मंत्र: भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें और उन्हें अपने परिवार की खुशियों और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
प्रदक्षिणा: गोवर्धन की आकृति की तीन बार प्रदक्षिणा करें और परिवार के सभी सदस्य इस अवसर पर एकत्र होकर भक्ति भाव से पूजा करें।
प्रसाद वितरण: पूजा के बाद तैयार किए गए भोग का प्रसाद सभी को वितरित करें।