इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के विरोध में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने आज समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर विरोध सभा की और कार्य के दौरान पूरे दिन काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज किया।
संघर्ष समिति ने कहा है कि बिजली के निजीकरण हेतु टेंडर नोटिस प्रकाशित होने के बाद से ही बिजली कर्मचारियों में लगातार गुस्सा बढ़ रहा है और वे अपना आक्रोश प्रदर्शित करने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। काली पट्टी बांधकर विरोध का अभियान 18 जनवरी तक चलेगा।18 जनवरी को आगे के कार्यक्रम घोषित किए जाएंगे। आज राजधानी लखनऊ के अलावा वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद,बुलंद शहर, नोएडा, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में बड़ी सभाएं हुईं।
राजधानी लखनऊ में रेजिडेंसी, तालकटोरा, मध्यांचल मुख्यालय, पारेषण भवन, एसएलडीसी और शक्ति भवन पर विरोध सभा आयोजित की गई। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने कहा कि निजीकरण हेतु जारी किए गए आर एफ पी डॉक्यूमेंट में सारी शर्तें कर्मचारियों के विरोध में लिखी हुई है। हजारों कर्मचारियों को निजीकरण के बाद निजी घरानों के रहमों करम पर छोड़ दिया जाएगा।
कर्मचारियों के सामने एक ही विकल्प होगा या तो वह निजी कंपनी की शर्तों पर काम करें और वह भी तब जब निजी कंपनी उनको अपने यहां काम पर रखें, अन्यथा की स्थिति में वी आर एस लेकर घर चले जाए। आर एफ पी डॉक्यूमेंट में अर्ली वी आर एस की बात लिखी है अर्थात जल्दी से जल्दी घर जाएं। अर्ली वी आर एस संभवतः इसलिए लिखा गया है कि निजी घरानों को सरकारी कर्मचारियों को अपने यहां रखना ही नहीं है। एक साल तक बिजली कर्मी निजीकरण के बाद निजी कम्पनी में काम करने हेतु बाध्य होंगे। एक साल में जब निजी कंपनी ढर्रे पर आ जाएगी तब वह सभी सरकारी कर्मचारी घर भेज दिए जाएंगे जो निजी कंपनी को सूट नहीं करते।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण का मतलब होगा 50000 संविदा कर्मचारियों की नौकरी जाना और 26000 नियमित कर्मचारियों की छटनी। निजीकरण के विरोध को दबाने के लिए संविदा कर्मियों को हटाने, नियमित कर्मचारियों को निलम्बित करने जैसे अवैधानिक कार्य पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा किए जा रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि यदि प्रबंधन यह समझता है कि बिजली कर्मियों को डराकर निजीकरण थोपा जा सकता है तो यह प्रबंधन की गलत फहमी है। बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और निजीकरण वापस होने तक आन्दोलन जारी रहेगा।