उत्तर प्रदेश के हरिगढ़ (अलीगढ़) स्थित जिला कारागार में इस बार एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब कैदियों ने महाकुंभ के अवसर पर पवित्र स्नान किया। जेल प्रशासन ने एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें कैदियों के मन में आस्था और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भारत में अत्यधिक है। इसे सनातन धर्म के सबसे बड़े पर्व के रूप में जाना जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर पाप मुक्ति और मोक्ष की कामना करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जेल में बंद कैदी भी इस पुण्य अवसर का लाभ उठा सकते हैं?
जेल प्रशासन का कदम
हरिगढ़ जेल में यह अनूठा आयोजन उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर हुआ। कारागार मंत्री के निर्देश पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया, ताकि जेल में बंद कैदी भी महाकुंभ के इस पवित्र अवसर का हिस्सा बन सकें। वरिष्ठ जेल अधीक्षक बृजेन्द्र यादव ने बताया, "हमने महाकुंभ के इस पवित्र अवसर पर जेल में कैदियों के लिए स्नान का आयोजन किया। संगम का पवित्र जल मंगवाकर सभी कैदियों को वितरित किया गया, ताकि वे भी इस धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित हो सकें।"
तैयारी और आयोजन
इस आयोजन की तैयारी बड़े ध्येय और नियमों के साथ की गई। जेल प्रशासन ने प्रयागराज से संगम का पवित्र जल मंगवाया और उसे जेल परिसर में स्थित 12 स्नानघरों में वितरित किया गया। कुल ढाई हजार कैदियों को बारी-बारी से स्नान का अवसर मिला। इस आयोजन को सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का सम्मान करते हुए आयोजित किया गया, ताकि किसी भी जाति, धर्म या समुदाय के व्यक्ति को कोई समस्या न हो।
कैदियों में उत्साह और खुशी
महाकुंभ सिर्फ धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक भी है। हरिगढ़ जेल में इस आयोजन ने यही संदेश दिया। विभिन्न धर्मों और जातियों के कैदियों ने एक साथ स्नान किया। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने कहा, "हमने यह सुनिश्चित किया कि सभी धर्मों और समुदायों के लोग बिना किसी भेदभाव के इस पुण्य अवसर का लाभ लें। स्नान से पहले और बाद में भजन-कीर्तन और प्रार्थनाओं का आयोजन भी हुआ, जिससे सभी के दिलों में आस्था और शांति का संचार हुआ।"
कैदियों की प्रतिक्रिया
इस आयोजन को लेकर कैदियों में गजब का उत्साह था। एक कैदी ने कहा, "हमें नहीं लगता था कि जेल में रहते हुए हम महाकुंभ में स्नान कर सकेंगे। यह हमारे लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। ऐसा महसूस हुआ जैसे हम सच में संगम के किनारे खड़े हैं।" जेल प्रशासन ने आयोजन को पूरी तरह से अनुशासन और सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए संपन्न कराया।
मनोबल को बढ़ावा
जेल प्रशासन का मानना है कि ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन कैदियों के मानसिक और आध्यात्मिक पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक बृजेन्द्र यादव ने कहा, "हमारा उद्देश्य केवल कानून व्यवस्था बनाए रखना नहीं है, बल्कि कैदियों के मानसिक और चरित्र में सकारात्मक बदलाव लाना भी है। ऐसे आयोजन उन्हें आत्मचिंतन और सुधार का अवसर देते हैं।"
सरकार की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम अत्यंत सराहनीय है। कारागार मंत्री के निर्देश पर प्रदेशभर की जेलों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि कैदियों को समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जा सके। इस पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि चाहे कोई व्यक्ति जेल की चार दीवारों में क्यों न हो, उसकी आस्था और धार्मिक भावनाओं पर कोई रोक नहीं हो सकती।