मकर संक्रांति का पर्व एक दुर्लभ संयोग के साथ 19 साल बाद आ रहा है, जो इस दिन को और भी विशेष बना देगा। मकर संक्रांति हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक महत्वपूर्ण तिथी है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ होती है। यह आमतौर पर 14 जनवरी को मनाई जाती है। इस वर्ष का मकर संक्रांति का दिन खगोलशास्त्र और ज्योतिष के दृष्टिकोण से खास महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ-साथ कुछ दुर्लभ खगोलीय संयोग भी बन रहे हैं।
सबसे पहले, इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन ग्रहों की स्थिति एक खास संयोग बना रही है। यह दिन विशेष रूप से विशेष होगा क्योंकि सूर्य, चंद्रमा, और गुरु ग्रह की स्थिति एक साथ एक विशिष्ट परिभाषा में आ रही है, जो वर्ष में केवल कुछ बार ही देखने को मिलती है। इस संयोग को लेकर ज्योतिषशास्त्र में यह मान्यता है कि ऐसे समय में दान और पुण्य कार्यों का महत्व बढ़ जाता है। साथ ही, इस दिन को तीर्थों में स्नान और पुण्य अर्जन के लिए आदर्श समय माना जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति का पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग तिल और गुड़ का सेवन करते हैं, क्योंकि यह मान्यता है कि तिल और गुड़ का सेवन शरीर को उर्जा और शुद्धता प्रदान करता है। इसके अलावा, इस दिन लोग पतंगबाजी का आनंद लेते हैं, जो एक पारंपरिक खेल के रूप में जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसे पापों से मुक्ति पाने का समय माना जाता है।
इसके अलावा, इस दिन के साथ जुड़ी एक और विशेषता है ‘कुमार संग्राम’। यह एक उत्सव है जो सूर्य की मकर राशि में प्रवेश के समय मनाया जाता है और इसे शुभ माना जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह नए सिरे से जीवन की शुरुआत करने का भी प्रतीक है।
अंत में, मकर संक्रांति 2025 का पर्व अधिक महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इस दिन बनने वाला ग्रहों का संयोग धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से दुर्लभ है। ऐसे में इस दिन का उल्लास और उत्सव का माहौल और भी विशेष होगा।