मार्गशीर्ष हिंदू पंचांग का नौवां महीना है। इसे अग्रहायण या अगहन माह भी कहा जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों में इसे सबसे पवित्र महीना माना गया है। कहा जाता है कि इसी माह से सत्ययुग का आरंभ माना जाता है। कश्यप ऋषि ने कश्मीर की रचना इसी माह में की थी। यह महीना जप, तप और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इसमें पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी होता है। मार्गशीर्ष माह 16 नवंबर यानी कल से शुरू हो गया है।
क्या है मार्गशीर्ष मास का महत्व
सत्ययुग में देवताओं ने वर्ष का प्रारम्भ मार्गशीर्ष की प्रथम तिथि को किया था। मार्गशीर्ष माह में विष्णुसहस्त्र नाम, भागवत गीता और गजेंद्रमोक्ष का पाठ अवश्य करें। इस महीने में शंख में पवित्र नदी का जल भरें। फिर इसे पूजा स्थान पर रख दें। मंत्र का जाप करते हुए भगवान के ऊपर शंख घुमाएं। शंख में जल भरकर घर की दीवारों पर छिड़कें, इससे घर में शुद्धि बढ़ती है और शांति आती है। इस माह में उत्सवों का आयोजन करना बहुत शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।
मार्गशीर्ष महीने के लाभ
इस माह में शुभ कार्य विशेष फलदायी होते हैं। इस माह में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष शुभ होता है। साथ ही संतान संबंधी आशीर्वाद भी बहुत आसानी से प्राप्त होता है। चंद्रमा से अमृत तत्व भी प्राप्त होता है। इस माह में कीर्तन करने का फल अवश्य ही सिद्ध होता है।
मार्गशीर्ष मास में किन बातों का रखें ध्यान?
इस महीने में तेल मालिश बहुत अच्छी होती है। इस महीने से चिकनाईयुक्त भोजन का सेवन शुरू कर देना चाहिए। लेकिन इस महीने में जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए। मोटे कपड़ों का प्रयोग भी इस महीने से शुरू कर देना चाहिए। इस माह से संध्या वंदन अनिवार्य हो जाता है।
मार्गशीर्ष के महीने में करें ये उपाय
इस माह में प्रतिदिन गीता का पाठ करें। जितना हो सके भगवान कृष्ण की पूजा करें। कान्हा को तुलसी के पत्ते अर्पित करें और प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। पूरे महीने “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। इस महीने अगर आपको किसी पवित्र नदी में स्नान करने का मौका मिले तो जरूर करें।