केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन से आयी भयंकर तबाही में मरने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दिख रही है। केरल राज्य राजस्व विभाग ने मंगलवार को कहा कि, भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 148 हो गई है। वहीं, पैरा रेजिमेंटल ट्रेनिंग के कमांडेंट ब्रिगेडियर अर्जुन सीगन ने बताया कि, अब तक 150 मौतें दर्ज की गई हैं।" उन्होंने कहा कि, ''रेस्क्यू ऑपरेशन में करीब 250 लोगों को बचाया गया है।'' सरकारी आंकड़ों की माने तो अभी तक 158 लोगों की लाशें बरामद की गई है।
मंगलवार को भूस्खलन से प्रभावित वायनाड जिले के चूरलमाला में खोज और बचाव अभियान में एक डॉग स्क्वाड भी शामिल किया गया है। बात दें कि, 30 जुलाई की सुबह केरल के मेप्पडी पंचायत के पहाड़ी इलाकों में दो बड़े भूस्खलन हुए, जिनमें मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांव गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
क्या है भूस्खलन का कारण
इस क्षेत्र में भूस्खलन का कारण पिछले दो सप्ताह से लगातार हो रही बारिश है, जिससे वहाँ की नदियाँ और उनकी सहायक नदियाँ उफान पर हैं और अपना रास्ता बदल कर गांवों से होकर बह रही हैं जिससे यहाँ की आबादी को तबाही का सामना करना पड़ा। सेना, नौसेना, वायु सेना और NDRF की बचाव टीमें बचाव कार्यों में जुटी हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन में सहायता के लिए एझिमाला नौसेना अकादमी की 60 टीमें आज बुधवार की सुबह चूरलमाला पहुंचीं।
विनाश बरपा रही नदियां
केरल जनसंपर्क विभाग ने कहा कि, बचाव टीम में 45 नाविक, पांच अधिकारी, 6 फायर गार्ड और डॉक्टर शामिल हैं, टीम का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडेंट आशीर्वाद कर रहे हैं। पैरा रेजिमेंटल ट्रेनिंग के कमांडेंट, ब्रिगेडियर अर्जुन सीगन ने बताया कि, "बचाव अभियान मंगलवार सुबह से जारी है। कल, खराब मौसम के कारण, बचाव दल बहुत से लोगों को बचा नहीं सके थे। लगभग 500 से 600 कर्मी NDRF टीम, सेना, पुलिस, वन अधिकारी और स्वयंसेवक बुधवार को बचाव अभियान चला रहे हैं।" ब्रिगेडियर सीगन ने कहा कि, भूस्खलन में बह गए पुल को फिर से बनाने की कोशिश में लगे हैं और जैसे ही मौके पर हालात बेहतर होंगे, लोगों को हवाई मार्ग से बाहर निकाला जाएगा।