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जन्मभूमि मे पिता की प्रतिमा पर दीपक जला उदयभान करवारिया ने किया नमन

सियासी सितारे से मिलने वालों का लगा रहा तांता,जानकार बोले-उदयभान की रिहाई से प्रयागराज-फूलपुर-कौशांबी सीट को मिलेगी संजीवनी कौशांबी। प्रयागराज की नैनी जेल से रिहाई के उदयभान करवरिया आज अपनी जन्मभूमि कौशांबी पहुचे। उन्होंने यहां सबसे पहले परिवार सहित पूर्वांचल की सियासत मे अपनी अलग पहचान रखने वाले भुक्खल महाराज उर्फ वशिष्ठ नारायण करवरिया की प्रतिमा पर दीपक जलाकर उन्हे नमन किया। करवारिया परिवार से जुड़े लोगो को जैसे ही इस बाद खबर लगी भीड़ के शक्ल मे लोग अपने चहेते सियासी सितारे से मिलने पहुचे। जहां कई घंटे उनसे मिलने वालो का तांता लगा रहा।

अरविंद तिवारी
  • Jul 26 2024 10:42PM
पूर्व विधायक व भाजपा नेता उदयभान करवरिया समदा स्थित अपने पिता की प्रतिमा पर दीपक जलाकर राजनीति की नई पारी की शुरुआत कर चुके है। हालाकि उन्होने इसके सियासी मायने निकालने की बात से साफ इंकार किया है। वह अपने निजी होटल मे पूर्व परिचित एवं करीबी लोगो से मुलाक़ात करने के लिए कई घंटे रुके रहे। राजनीति के जानकार चन्द्र दत्त शुक्ला ने बताया, उदय भान करवरिया भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता रहे है। उन्होंने पार्टी को नींव को हमेशा से मजबूत करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह (तत्कालीन रक्षा मंत्री) समेत पूर्व सीएम राम प्रकाश गुप्ता के सनिध्य मे रहे। समय के साथ उन्हे सियासी कुचंक्र का सामना करना पड़ा। जिससे निकल वह एक बाद सिर से कौशांबी, प्रयागराज, फूलपुर, चित्रकूट एवं प्रतापगढ़ की लोकसभा सीट पर कमल की संजीवनी बन कर उभरे है। अगर जनपद मे लोकसभा मे ब्राह्मण वोटर की बात करे तो उनकी संख्या 1 लाख से अधिक है।       

इतिहास के आईने मे मंझनपुर थाना क्षेत्र के चक नारा ग्राम सभा मे ब्राह्मण परिवार जगत नारायण करवरिया के घर भुक्खल महाराज उर्फ वशिष्ठ नारायण करवरिया का जन्म हुआ। खेती किसानी करने वाले परिवार मे वशिष्ठ नारायण करवरिया ने समाज सेवा मे अपना कदम बढ़ाया। कुछ ही समय मे प्रदेश के पूर्वाञ्चल मे वशिष्ठ नारायण को लोगो ने भुक्खल महाराज के नाम से मशहूर कर अपना सिरमौर बना लिया। उन्हें पूर्वांचल की राजनीति मे ब्राह्मण समाज का बड़ा चेहरा माना जाता था। जानकार बताते है कि भुक्खल महाराज ने समाज सेवा के आगे कोई भी चुनाव नहीं जीता। 55 साल की उम्र मे समदा चीनी मिल के पास ससुर खदेरी नदी पर बने ब्रेकर से अनियंत्रित होकर कार सड़क हादसे का शिकार हो गई। जिसमे वशिष्ठ नारायण करवारिया समेत 4 लोगो की मौत हो गई। जिनकी प्रतिमा परिवार ने सड़क हादसे वाले स्थल के करीब लगा कर उनकी स्मृति अमर बनाने की कोशिस की है।     

वशिष्ठ नारायण उर्फ भुक्खल महाराज के सियासी कद व रसूक कौशांबी, प्रयागराज व चित्रकूट समेत पूर्वाञ्चल मे ऐसा था कि माफिया उनके सामने पड़ने से डरते थे। या फिर यूं कहे कि माफिया उन्हे सामने देखते ही रास्ता बदल दिया करते थे। पिता की राजनैतिक विरासत को बड़े बेटे कपिल मुनि करवरिया ने आगे बढ़ाया। वह राजनीतिक रूप से मजबूत होकर अपने 2 भाई उदयभान व सूरजभान को अपने साथ सियासत मे लेकर आए। 

उदयभान करवरिया ने कौशांबी से राजनीति मे अपना कदम रखा। वह साल 1996 मे को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष चुने गए। वह इस पद पर साल 2001 तक काबिज रहे। इसके बाद उदयभान ने विधानसभा बारा से साल 2002 व 2007 मे विधायक का चुनाव जीत कर यूपी सदन का हिस्सा बने। उदयभान ने अपने पिता के नक्शे कदम पर राजनीति मे अपराध को शामिल कर माफिया अतीक अहमद से दुश्मनी ठान ली। माफिया अतीक अपने जीवन काल मे उदयभान के सामने आने से परहेज करता था।

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