भारत को 26/11 मुंबई आतंकी हमले में एक बड़ी सफलता मिली है। पाकिस्तान मूल के कनाडाई व्यापारी तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया अब पूरी तरह से साकार हो गई है। अमेरिका की अदालत ने उनके प्रत्यर्पण पर अंतिम मुहर लगाई है। राणा को 2009 में एफबीआई ने शिकागो से गिरफ्तार किया था।
तहव्वुर राणा फिलहाल लॉस एंजिल्स की जेल में बंद हैं। 63 साल के राणा ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड कोलमन हेडली की मदद की थी, जो मुंबई हमले का मास्टरमाइंड था। भारत ने लंबे समय से हेडली के प्रत्यर्पण की मांग की है, और अब राणा को भारत लाने का रास्ता भी खुल चुका है।
भारत ने अदालत में प्रस्तुत किए ठोस प्रमाण
अमेरिकी अदालत में भारत ने राणा के खिलाफ ठोस साक्ष्य प्रस्तुत किए। अदालत ने यह माना कि भारत में राणा पर लगाए गए आरोप अमेरिका से अलग हैं, हालांकि वह अमेरिकी आरोपों से बरी हो चुका है। अदालत ने माना कि डेविड हेडली की मदद करने के लिए राणा के खिलाफ भारत के पास मजबूत प्रमाण हैं, जिनकी वजह से वह अब भारत भेजे जाएंगे।
ISI से संबंध और आतंकवाद को बढ़ावा देना
2011 में एक अमेरिकी अदालत ने राणा को आतंकवादी हमलों को बढ़ावा देने के आरोपों से बरी कर दिया था। हालांकि, उसे लश्कर-ए-तैयबा को सहायता देने और डेनमार्क में आतंकी साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। डेविड हेडली ने भी राणा के खिलाफ गवाही दी थी और बताया था कि वह पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क के संपर्क में था। जानकारी के अनुसार राणा का पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी गहरा संबंध था।
पाकिस्तान मूल के व्यापारी और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड के मददगार तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मिली मंजूरी। राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, लेकिन बाद में उसने कनाडा की नागरिकता प्राप्त की। कनाडा जाने से पहले राणा ने पाकिस्तान की सेना में 10 वर्षों तक डॉक्टर के रूप में सेवा दी। इसके बाद, वह भारत के खिलाफ आतंकवादी साजिशों में शामिल हो गया। वह जर्मनी, इंग्लैंड और कनाडा सहित कई देशों की यात्रा कर चुका है।
मुंबई हमले की भयावह साजिश
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की साजिश डेविड हेडली और लश्कर-ए-तैयबा ने मिलकर रची थी। इस हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को आतंक के साए में डाल दिया। इस हमले में छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोगों की जान चली गई थी।