केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज तेलंगाना के भाग्यानगर स्थित राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान में एग्जीक्यूटिव छात्रावास और प्रशिक्षण ब्लॉक का वर्चुअल शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संकल्प है कि किसानों की आय बढ़ाई जाए और खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ किया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि, 140 करोड़ की जनसंख्या को पर्याप्त अन्न, फल और सब्जियां मिलें, ताकि हम अपनी जरूरतें स्वयं पूरी कर सकें। कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और हमें आजीविका और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभानी है।
प्रशिक्षण और प्राकृतिक खेती का महत्व
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि संस्थान में प्रशिक्षण, अनुसंधान, परामर्श और विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाएगा। उन्होंने खेती के विविधीकरण और मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने चेताया कि रासायनिक खादों के दुष्परिणामों के कारण धरती की गुणवत्ता कम हो रही है, जो मानव स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहा है।
चौहान ने कहा कि हम विस्तार कार्यकर्ताओं, कृषि वैज्ञानिकों, और युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। कृषि स्टार्टअप्स के लिए प्रशिक्षण भी आज के समय में बहुत जरूरी है। उन्होंने प्रशिक्षण के मॉड्यूल को परंपरागत रखते हुए आधुनिक आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखने की बात कही।
भविष्य की योजनाएं
कृषि मंत्री ने बताया कि भविष्य में होने वाले शोध अनुसंधान के आधार पर हमें पहले से यह तय करना चाहिए कि कौन-कौन से प्रशिक्षण की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि हमें प्रशिक्षण की योजना को विस्तार से तैयार करना चाहिए। इस नए भवन में ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा है, लेकिन इसकी असली आत्मा प्रशिक्षण में निहित है। उन्होंने यह भी कहा कि जब वे कैंपस में आएंगे, तब विस्तृत चर्चा की जाएगी।
किसानों के लिए नई योजनाएं
चौहान ने बताया कि वे झारखंड के पलामू में हैं, जहां अरहर की दाल की खेती की अच्छी संभावनाएं हैं। हालांकि, बेहतर मूल्य न मिलने के कारण इसकी खेती में कमी आई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अरहर की पूरी खरीद की जाएगी ताकि किसानों को प्रोत्साहन मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि कल वे नेतरहाट में थे नेतरहाट में नाशपाती और आलू की खेती की जाती है, और यहां उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहतर पौधों और कृषि तकनीकों पर काम करने की आवश्यकता है।