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तमिलनाडु में नाबालिग छात्र के साथ होता रहा यौन शोषण; पांच स्टाफ और एक सहपाठी था शामिल... POCSO एक्ट में दर्ज हुआ केस तो जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन ने दी सफाई

Coimbatore: ईशा स्कूल के पांच लोगों पर POCSO के तहत केस दर्ज, फाउंडेशन ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

Ravi
  • Apr 23 2025 1:44PM

तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में स्थित 'सदगुरू' जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन द्वारा संचालित एक स्कूल के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं। पुलिस ने POCSO कानून के तहत चार स्टाफ सदस्यों और एक पूर्व छात्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। यह कार्रवाई एक महिला की शिकायत पर की गई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उनके नाबालिग बेटे के साथ वर्ष 2017 से 2019 के बीच स्कूल में रहते हुए दुर्व्यवहार हुआ था।

वहीं ईशा फाउंडेशन ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि, यह आरोप न केवल झूठे हैं, बल्कि दुर्भावनापूर्ण भी हैं और संस्थान की छवि को धूमिल करने की मंशा से लगाए गए हैं। उनके अनुसार, 2019 में भी ऐसी शिकायत की गई थी, जिसका समुचित समाधान कर दिया गया था।

मां ने कहा: "बेटे को चुप रहने के लिए कहा गया"

इंडिया टूडे को दी जानकारी के मुताबिक, शिकायतकर्ता ने बताया कि उनका बेटा जब स्कूल में पढ़ता था, तब एक सहपाठी ने उसके साथ बार-बार अनुचित व्यवहार किया। बच्चे को यह बात अपने माता-पिता को न बताने की चेतावनी भी दी गई थी। इसके बावजूद, उसने स्कूल के प्रिंसिपल, हाउस पैरेंट्स और जनरल कॉर्डिनेटर से इस बारे में शिकायत की थी।

स्कूल से रिश्ता वर्षों तक बना रहा

ईशा फाउंडेशन ने इंडिया टूडे को यह भी कहा कि शिकायत के बावजूद परिवार का स्कूल से वर्षों तक जुड़ाव बना रहा। बड़ा बेटा स्कूल में तीन साल और पढ़ा, साथ ही शिक्षकों से सिफारिशी पत्र भी लिए। यहां तक कि कथित घटना के कुछ महीने बाद ही उन्होंने छोटे बेटे के एडमिशन के लिए आवेदन भी दिया।

मां का आरोप: स्कूल ने नहीं की समय पर कार्रवाई

मां ने यह भी बताया कि जब उन्होंने स्कूल को ईमेल और कॉल के जरिए जानकारी दी, तो दो दिन तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। बाद में उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। उनका कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने कथित तौर पर आरोपी छात्र की पारिवारिक स्थिति को देखते हुए मामले को नजरअंदाज किया।

पुलिस की भूमिका पर भी सवाल

FIR दर्ज करने के बावजूद, महिला का कहना है कि तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें इसकी कॉपी देने में दो महीने का समय लिया और अनुचित व्यवहार किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उनसे अकेले में पूछताछ की और प्रताड़ित करने की कोशिश की।

वहीं, ईशा फाउंडेशन का दावा है कि शिकायतकर्ता जून 2022 से स्वयंसेवक के रूप में स्कूल से जुड़ी थीं, लेकिन उनके व्यवहार को लेकर कई शिकायतें आने के बाद मार्च 2024 में उनका नाता संस्थान से तोड़ दिया गया। संस्था का कहना है कि निष्कासन से नाराज होकर उन्होंने अब झूठे आरोप लगाए हैं और मामले में कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

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