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Vice President Jagdeep Dhankhar: ‘अगर कोई देश पर सवाल उठाएगा तो हम नहीं करेंगे बर्दाश्त..’, गोरखपुर में बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राष्ट्र-विरोधी ताकतों पर भी जताई चिंता

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि, भारत को 1990 के दशक में वित्तीय संकट से निपटने के लिए विदेश में सोना गिरवी रखना पड़ा था. उसके बाद से भारत ने एक लंबा सफर तय किया है.

Geeta
  • Sep 8 2024 11:41AM
उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल का उद्घाटन करने के लिए गोरखपुर पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, यदि हम राष्ट्रवाद से समझौता करेंगे तो यह राष्ट्र के साथ घोर विश्वासघात होगा, जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें समझाने की जरूरत है. जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि कोई कैसे सोच सकता है कि हमारे महान भारत में, जहां लोकतंत्र जीवित है, वहां पड़ोसी देशों जैसी स्थिति हो सकती है? अगर कोई देश पर सवाल उठाएगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.

 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, चारों तरफ नजर फैलाइए, क्या कोई देश हम जैसा है? क्या कोई देश हमारी तरह संस्कृतिक विरासत का धनी है? हमारी 5000 साल की संस्कृति आज भी जीवंत है. मेरी बात को आप लिख लीजिए, आने वाले हर पल में हम इस संस्कृति को आगे बढ़ाते रहेंगे. ऋषि परंपरा का मूलमंत्र है कि हम वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में विश्वास करते हैं. हमारे प्रधानमंत्री ने जब विश्व कूटनीति को दो सिद्धांत दिए, उन सिद्धांतों के मूल में ऋषि परंपरा है.

 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि, पहला, भारत ने कभी विस्तारवाद में विश्वास नहीं किया. किसी अन्य की जमीन को नहीं देखा; और दूसरा, परिस्थिति चाहे जैसी हो लेकिन किसी भी संकट या अंतर्राष्ट्रीय कलह का समाधान युद्ध नहीं हो सकता. समाधान का एक ही रास्ता है, डायलॉग और डिप्लोमेसी. प्रधानमंत्री ने जो कहा था, वह विचार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है.

 

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि, भारत को 1990 के दशक में वित्तीय संकट से निपटने के लिए विदेश में सोना गिरवी रखना पड़ा था. उसके बाद से भारत ने एक लंबा सफर तय किया है. कोई कैसे कल्पना कर सकता है कि भारत जैसे देश को इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि जब दुनिया के महान लोगों को परेशानी हुई, जब वे रास्ता भटक गए, जब उन्होंने अंधेरा देखा, तो उन्होंने भारत की ओर रुख किया. 

 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि, वर्तमान तकनीकी युग में बड़े-बड़े नाम कमाने वाले लोगों को भी मार्गदर्शन और ज्ञान इसी देश में मिला है. हमारे देश की ऋषि परंपरा के कारण ही आज भारत जल, थल, नभ और अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगा रहा है.

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