हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन को विशेष रूप से पितरों की पूजा, श्राद्ध और दान के लिए समर्पित माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में इसे एक विशेष अवसर के रूप में बताया गया है, जब पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवारजनों का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व
अमावस्या तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि होती है, जब चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों के साथ-साथ भगवान शिव, माता लक्ष्मी और माता काली की पूजा करने का विधान है। इसे एक ऐसा समय माना जाता है, जब पितर अपने परिवार के सदस्यों से मिलने और उनका आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं।
अमावस्या के दिन विशेष रूप से पितृ लोक से आए पितरों की पूजा की जाती है। इस दिन श्राद्ध कर्म और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से परिवार की सुख-शांति और समृद्धि में वृद्धि होती है।
अमावस्या का दिन केवल पूजा-पाठ और श्राद्ध कर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे ध्यान और साधना के लिए भी आदर्श दिन माना जाता है। इस दिन अन्न और धन का दान पितरों के नाम पर किया जाता है, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, नदी में स्नान और भगवान विष्णु तथा शिव की पूजा भी लाभकारी मानी जाती है।
अमावस्या तिथि 2025
साल 2025 में अमावस्या तिथि धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखती है। इस वर्ष विभिन्न माहों में अमावस्या के दिन विशेष पूजा और कर्मों का पालन किया जाएगा।
माघ मास (मौनी अमावस्या) - 29 जनवरी
फाल्गुन मास - 27 फरवरी
चैत्र मास - 29 मार्च
वैशाख मास - 27 अप्रैल
ज्येष्ठ मास - 27 मई
आषाढ़ मास - 25 जून
श्रावण मास - 24 जुलाई
भाद्रपद मास - 23 अगस्त
आश्विन मास - 21 सितंबर
कार्तिक मास - 21 अक्टूबर
मार्गशीर्ष मास - 20 नवंबर
पौष मास - 19 दिसंबर
सोमवती और शनि अमावस्या का विशेष महत्व
जब अमावस्या तिथि सोमवार को होती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है, और जब यह शनिवार को होती है तो इसे शनि अमावस्या कहा जाता है। इन विशेष तिथियों पर पूजा और व्रत का महत्व अधिक बढ़ जाता है।
अमावस्या का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो अमावस्या के दिन चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में होता है, जिससे चंद्रमा का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पड़ता। इस दिन चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव पृथ्वी पर अधिक होता है। यही कारण है कि इस दिन विशेष पूजा, जप और तर्पण करने से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है।