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26 सितंबर : जन्मजयंती परमवीर सूबेदार जोगिंदर सिंह जी... 1962 के युद्ध में अकेले ही 200 चीनियों के छुड़ा दिए थे छक्के

भारत माता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शूरवीर जोगिन्दर सिंह जी को आज उनके जन्म दिवस पर सुदर्शन परिवार बारम्बार नमन, वंदन और अभिनंदन करता है

Sumant Kashyap
  • Sep 26 2024 7:43AM

26 सितंबर 1921 को जन्म हुआ था एक ऐसे शूरवीर का जिसने भारत माता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. हमारे देश में न जाने कितने ही ऐसे महान योद्धाओं ने जन्म लिया. उन योद्धाओं ने इस देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. ऐसे ही एक वीर थे जोगिन्दर सिंह जी, जिन्हें अपने बलिदान के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

जोगिन्दर सिंह जी ने अकेले ही 200 चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे. आज हम उस महान योद्धा की कहानी आप सभी के सामने लाना चाहते है, जो शायद इतिहास के पन्नो में कहीं खो गई है. भारत माता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शूरवीर जोगिन्दर सिंह जी को आज यानी 26 सितंबर को उनके जन्म दिवस पर सुदर्शन परिवार बारम्बार नमन, वंदन और अभिनंदन करता है. इसके साथ ही उनकी गौरव गाथा को जन जन तक पहुंचने का संकल्प लेता है.

जोगिन्दर सिंह जी का जन्म 26 सितंबर 1921 में पंजाब के मोगा के मेहाकलन गांव में हुआ था. जोगिन्दर सिंह जी का परिवार बहुत समृद्ध परिवार में से नहीं था. इसी कारण से उनकी विधिवत शिक्षा भी नहीं हुए थी. सन 1936 में महज 15 साल की उम्र में वो सेना में आ गए जिसके बाद उनकी प्रतिभा का विकास हुआ. उन्होंने वहां आर्मी एजूकेशन परीक्षाएं पास करके अपनी सम्मानपूर्ण जगह बनाई. उन्होंने सन 1942 में बर्मा में जापानी फौज के खिलाफ और सन 1948 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान सिख रेजीमेंट के साथ श्रीनगर की लड़ाई में हिस्सा लिया. 

1962 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध में भारत माता ने अपने इस वीर सपूत को खो दिया. भारतीय सेना के पास हथियारों और गोला बारूद की भरी कमी थी लेकिन इसके बावजूद भारतीय सेना की बहादुरी और जोश में कोई कमी नहीं आई. बता दें कि चीन सेना लगातार आगे बड़ रही थी. चीन और भारत की सेना बूमला मोर्चे पर अपनी- अपनी फौजों के साथ आपने- सामने आ गए. हमले के बाद जल्दी ही चीन की सेना ने नामका चू पर तैनात भारतीय पोस्ट्स पर कब्जा कर लिया. इसके बाद चीन की सेना तवांग की ओर बढ़ने लगी.

लेकिन चीन सेना और तवांग के रास्ते में खड़े थे सूबेदार जोगिन्दर सिंह जी. वह रिज के पास नेफा में टोंग पेन में अपनी टुकड़ी के साथ तैनात थे. उनकी टुकड़ी में कुल 20 जवान थे. सुबह पांच बजे जोगिन्दर सिंह जी की टुकड़ी और चीन सेना के बीच लड़ाई शुरू हुई. चीनी सेना ने लगातार तीन बार इस टुकड़ी पर हमला किया. तीनों बार चीनी सैनिकों की संख्या 200 थी. पहले हमले में जोगिन्दर सिंह जी और उनकी टुकड़ी ने बड़ी ही बहादुरी के साथ चीनी सेना को नाकाम कर दिया. इस हमले में चीनी सेना को कोई सफलता मिली और इसके साथ ही उन्हें भरी नुकसान हुआ. 

हालांकि इससे पहले जोगिन्दर सिंह जी और उनकी टुकड़ी को संभलने का मोका मिलता, दुश्मन की सेना ने एक बार फिर अनवर हमला कर दिया. हमारे वीरों नें इस बार भी बड़ी ही बहादुरी और साहस के साथ दुश्मनों का सामना किया और एक बार फिर उनके हौसले पस्त कर दिए. लेकिन दूसरे हमले ने जोगिन्दर सिंह जी की आधी फौज को साफ कर दिया था. इसके साथ ही जोगिन्दर जी भी जांघ में गोली लगने के कारण घायल हो गए थे. उनकी गोलियां भी खत्म हो चुकी थी. जोगिन्दर जी को अपने अफसर द्वारा पीछे हटने का आदेश मिला, फिर भी वो मैदान छोड़कर भागने को तैयार नहीं थे. उनके नेतृत्व में उनकी फौज भी पूरे हौसले के साथ जमी हुई थी.

कुछ देर बाद दुश्मन की ओर से तीसरा हमला किया गया. जोगिन्दर और उनके साथी चोटी पर डटे हुए थे. अब तक उनकी टुकड़ी के 10 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके थे. उनके पास गोलियां भी खत्म हो चुकी थीं. सूबेदार जोगिन्दर सिंह जी ने खुद हाथ में मशीनगन लेकर गोलियां दागनी शुरू कर दीं थीं. लेकिन कुछ देर बाद मशीनगन की गोलियां भी समाप्त हो गई. अब बारी थी संगीन को खंजर की तरफ इस्तेमाल करके दुश्मन का काम तमाम करने की. सूबेदार और उनके साथी इस मुठभेड़ में भी बिना हिम्मत हारे पूरे जोश के साथ जूझते रहे. चीनी सेना को तीसरे हमले में भी भारी नुक्सान हुआ था. लेकिन आखिर में जोगिन्दर और उनके बचे हुए सैनिक दुश्मन के कब्जे में आ गए.

23 अक्टूबर 1962 के दिन सूबेदार जोगिन्दार सिंह जी चीन द्वारा बंदी बनाने जाने के दौरान ही बलिदानी हो गए. उनके शव का अंतिम संस्कार चीनी सेना द्वारा ही किया गया था. 17 मई 1963 को चीन ने भारत को उनकी अस्थियां सौंपी थी. विडम्बना ये है की 1963 में ही चीन ने युद्ध बंदियों को भारत को सोपा था. लेकिन उससे पहले ही भारत माता ने अपने इस वीर सपूत को खो दिया था.

यह सच है की जोगिन्दर सिंह जी और उनकी टुकड़ी दुश्मनों के सामने जीत नहीं पाई लेकिन उस मोर्चे पर उन लोगो ने जो बहादुरी और साहस दिखाया वो हम कभी नहीं भूल सकते. भले ही सूबेदार जोगिन्दार सिंह जी दुश्मन की गिरफ्त में आ गए पर उनके बलिदान को ये धरती कभी नहीं भुला सकती. भारत माता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शूरवीर जोगिन्दर सिंह जी को आज उनके जन्म दिवस पर सुदर्शन परिवार बारम्बार नमन, वंदन और अभिनंदन करता है. इसके साथ ही उनकी गौरव गाथा को जन जन तक पहुंचने का संकल्प लेता है.

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