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Durga Ashtami 2024: नवरात्रि में महाअष्टमी का ये है खास महत्व, जानिए कन्या पूजन, संधि पूजा का शुभ मुहूर्त यहां

शारदीय नवरात्रि का सबसे खास दिन होता है दुर्गाष्टमी। इस दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है और कन्या पूजन किया जाता है। ऐसे में जानिए कब है नवरात्रि 2024 की महाअष्टमी।

Rashmi Singh
  • Sep 27 2024 9:29AM

शक्ति का पर्व और साधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू होगा। नवरात्रि के पहले दिन कलशस्थापना से देवी मां की पूजा शुरू हो जाती है और 9 तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा की मानें तो, नवरात्रि के दौरान माता रानी पूरे 10 दिनों के लिए धरती पर आती है। इस दौरान श्रद्धालु माता रानी का व्रत रखते है और पूरे विधि-विधान से दुर्गा माता की पूजा करते है और विजयादशमी के दिन रावण का पुतला बनाकर शुभ मुहूर्त में जलाते है।

बता दें कि, इस साल मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। नवरात्रि का 8वां दिन यानी दुर्गाष्टमी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी कब है। ऐसे में यहां जानिए की मां महागौरी की पूजा, कनाया पूजा और संधि पूजा की तिथि, समय और महत्व कब का है। 

नवरात्रि 2024 अष्टमी कब है ? 

शारदीय नवरात्रि की दुर्गाष्टमी 11 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन लोग अपनी कुल देवी मां महागौरी की पूजा करते हैं। इसके साथ ही कन्या पूजन भी किया जाता है। 

शारदीय नवरात्रि 2024 दुर्गाष्टमी मुहूर्त

 अश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि शुरू - 10 अक्टूबर 2024, दोपहर 12.31
अश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि समाप्त - 11 अक्टूबर 2024, दोपहर 12.06
संधि पूजा मुहूर्त - सुबह 11.42 - दोपहर 12.30 (11 अक्टूबर 2024)
मां महागौरी पूजन - सुबह 07.47 - सुबह 09.14
कन्या पूजन - सुबह 09.14 - सुबह 10.41

दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी की पूजा का महत्व 

नवरात्रि के दौरान हर देवी की पूजा के लिए एक दिन तय किया गया है। इस कारण हर देवी की पूजा से विशेष फल मिलता है। शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन यानी दुर्गाष्टमी मां महागौरी को समर्पित है। अत्यंत सुंदर रूप के कारण माता के इस रूप का नाम महागौरी पड़ा। 

दुर्गाष्टमी पर कन्या पूजन क्यों करते हैं ? 

लड़कियों को माँ का स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि में अष्टमी के दिन कन्या पूजन के बिना 9 दिनों तक देवी की पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। कन्या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। दान-दक्षिणा दो। इससे माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं।

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