देश में सोमवार(1July) यानी आज से भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बदले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए. नए कानून से आधुनिक न्याय प्रणाली सुनिश्चित की जाएगी.
कितने कड़े हैं नियम?
नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर कड़े नियम बनाये गए हैं. कानून में अब उन मामलों के लिए दंड का प्रावधान है, जहां शादी के झूठे वादे करके महिलाओं को छोड़ दिया जाता है. बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना जाता है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.
नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. घटनाओं की रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से की जा सकती है, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी.
गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य है. आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, कबूलनामे और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है. आपराधिक मामले का फैसला, सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर सुनाया जाना चाहिए. पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर आरोप तय करने का प्रावधान है.
वहीं बलात्कार पीड़ितों के बयान पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए जाएंगे. वहीं मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए. “लिंग” की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल किया गया है.