गणेश जी की उपासना करने के लिए हर माह की संकष्टी चतुर्थी का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन विशेष रूप से गणेश जी का व्रत, पूजन और कथा का महत्व होता है। 2024 में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी आज यानी सोमवार को मनाई जाएगी। विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा करने से व्रति को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
व्रत कथा
संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा में भगवान गणेश के एक प्रसिद्ध लीलाओं का वर्णन किया गया है। कथा के अनुसार एक समय की बात है, जब इन्द्रदेव और अन्य देवता भगवान गणेश के सामने जाकर उनके आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते थे। गणेश जी ने उन्हें वचन दिया कि जो भी इस दिन विधिपूर्वक उनका पूजन करेगा, उसे वह सब दुखों और संकटों से मुक्त करेंगे।
इस व्रत को करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में हर प्रकार की रुकावटें दूर होती हैं। एक ओर प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक व्यापारी ने संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया और पूरे मन से गणेश जी का पूजन किया। इसके बाद, उसकी व्यापारिक स्थिति में आश्चर्यजनक सुधार हुआ, और उसे बड़े लाभ प्राप्त हुए।
व्रत विधि
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रियाएं करके व्रत का संकल्प लें। फिर स्वच्छ स्थान पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। उनका पूजन विधिपूर्वक करें, दीपक और धूप अर्पित करें, लड्डू और मोदक का भोग अर्पित करें। इस दिन उपवासी रहकर केवल फलाहार करें और विशेष रूप से गणेश जी की 'ऊँ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें।
व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना और जीवन में आने वाले समस्त विघ्नों को दूर करना होता है। विशेष रूप से संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति का वास होता है।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवंबर की शाम 6 बजकर 55 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन यानी 19 नवंबर दोपहर की शाम 5 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।