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हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत पर मातम में महबूबा मुफ्ती... आतंकी सरगना को कहा 'शहीद', शोक में रैली, उठाया बड़ा कदम

J&K: लेबनान में हसन नसरल्लाह के मारे जाने के विरोध में जम्मू-कश्मीर में रैली, ईरान को नेतन्याहू की दो टूक- इजरायल कहीं भी पहुंच सकता है।

Ravi Rohan
  • Sep 29 2024 4:51PM
"फ़लस्तीन के मुजाहिदों हम तुम्हारे साथ हैं... हिजबुल्लाह के मुजाहिदों हम तुम्हारे साथ हैं...!" ये नारे भारत की धरती कश्मीर में रह रहे एक विशेष मानसिकता के लोगों के द्वारा लगाए जा रहे हैं। सिर्फ कश्मीर में ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भी इसकी गूंज सुनाई जा रही है। हाल ही में इजरायल की हवाई हमले में हिज्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत हो गई। 

इस घटना के बाद कई इस्लामिक देशों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले, जबकि कुछ स्थानों पर लोगों ने पटाखे फोड़कर और आतिशबाजी करके नसरल्लाह की मृत्यु का जश्न भी मनाया। भारत में, नसरल्लाह को एक आतंकवादी के रूप में देखा जाता है, जो महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने और इजरायल के साथ लगातार संघर्ष करने के लिए जाना जाता है। हालांकि, कुछ समूहों ने उनके निधन के खिलाफ प्रदर्शन भी किए।

नसरल्लाह की मौत ने इज़राइल और ईरान के बीच के तनाव को और बढ़ा दिया है। इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में पेश करते हुए ईरान को चेतावनी दी कि इजरायल किसी भी समय किसी भी लक्ष्य को निशाना बना सकता है। उन्होंने कहा, “यह हमारी शक्ति का सबूत है, और हमारे दुश्मनों को सावधान रहना चाहिए कि हम उन्हें कहीं भी ढूंढकर नष्ट कर सकते हैं।”

दूसरी ओर, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मुसलमानों से इजरायल के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने इसे "जिहाद का आह्वान" करार दिया और कहा कि सभी मुसलमानों को एकजुट होकर इजरायल के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। इस बयान ने ईरान और उसके सहयोगियों में नाराजगी उत्पन्न कर दी है, जिससे ईरान-इजरायल संबंधों में और अधिक तनाव बढ़ा है। 

ईरान ने इस्लामिक सहयोग संगठन (IOC) की आपात बैठक बुलाने की योजना बनाई है और यह भी स्पष्ट किया है कि वह हिज्बुल्लाह का समर्थन जारी रखेगा। इस बीच, सुरक्षा कारणों से अयातुल्ला खामेनेई को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया गया है।

पीडीपी प्रमुख का चुनाव प्रचार स्थगित

हाल ही में हिज्बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत ने केवल पश्चिम एशिया में ही नहीं, बल्कि भारत में भी हलचल पैदा कर दी है। जम्मू-कश्मीर में, इस घटना के प्रति इस्लामिक कट्टरपंथी रुझान वाली पार्टियों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नसरल्लाह की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए अपने चुनाव प्रचार को स्थगित कर दिया है। उन्होंने कहा, “यह समय शांति और सहानुभूति का है, न कि राजनीति का।” महबूबा ने नसरल्लाह की मौत को बलिदान के रूप में वर्णित किया है।

इस घटनाक्रम के बीच भारत सरकार की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है। भारत ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम भारत के अंदर भी धार्मिक और राजनीतिक तनाव पैदा कर सकते हैं। महबूबा मुफ्ती का चुनाव प्रचार रोकना और कट्टरपंथी समूहों की प्रतिक्रियाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह मुद्दा भारत में संवेदनशील बन सकता है।

गौरतलब है कि भारत के इज़रायल और ईरान दोनों के साथ मजबूत कूटनीतिक संबंध हैं। जहाँ इज़रायल भारत का एक प्रमुख सैन्य और तकनीकी सहयोगी है, वहीं ईरान ऊर्जा और व्यापार के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। ऐसे में, इन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को संतुलित करना भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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