राष्ट्रपति भवन में 5 जुलाई को रक्षा अलंकरण समारोह-2024 का आयोजन हुआ था. इस आयोजन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश की रक्षा के लिए अदम्य साहस दिखाने वाले वीरों अथवा उनके परिजनों को वीरता पुरस्कार प्रदान किए. इस अवसर पर शौर्य चक्र पाए भारतीय सेना के मेजर राजेंद्र प्रसाद जाट शौर्य की कहानी आज बता रहा हूं. कश्मीर में लश्कर-ए-तैय्यबा के मोस्ट वॉन्टेड 10 लाख रुपए के इनामी आतंकी लतीफ़ राठर को उसके साथियों सहित मुठभेड़ में मार गिराया था.
जानकारी के लिए बता दें कि भारत में शरिया कानून लागू करने की सोच वाले आतंकी राठर ने ही कश्मीर में रील बनाने वाली लड़की आमरीन की हत्या की थी. मेजर राजेंद्र प्रसाद मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं. उनके परिवार और रिश्तेदारियों में कई लोग सेना में शामिल हो कर देश की सेवा कर रहे हैं अथवा पूर्व सैनिक हैं. मेजर राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि बचपन से ही उन्होंने अपने घर-परिवार में देश के लिए मरने-मिटने का जज्बा देखा जो उनको भी सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित कर गया. भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट के मेजर राजेंद्र प्रसाद को शौर्य चक्र मिलने से उनका परिवार, गांव और पूरा देश गौरवान्वित है, ऐसे में उनको ख़ुशी होना स्वाभाविक है. फिलहाल मेजर राजेंद्र की तैनाती भग्यनगर जो वर्तमान में हैदराबाद में है.
जिस वीरता के लिए मेजर राजेंद्र को शौर्य चक्र मिला है. साल 2022 के अगस्त में कश्मीर के बडगाम इलाके में मुठभेड़ हुई थी. तब रात करीब 10 बजे सुरक्षा बलों को खानसाहिब इलाके के वाटरहेल में कुछ आतंकियों की मौजूदगी के इनपुट मिले थे. सूचना मिलते ही राष्ट्रीय रायफल्स की 62वीं बटालियन में तैनात मेजर राजेंद्र प्रसाद अपनी टुकड़ी के साथ निकल पड़े. घटनास्थल पर पहुंच कर सूचना सही मिली.आतंकियों को घेर लिया गया और सरेंडर के लिए चेताया गया. जवाब में आतंकियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी.आखिरकार सुरक्षा बलों को जवाबी फायरिंग करनी पड़ी.
वहीं, मेजर राजेंद्र प्रसाद से उस मुठभेड़ के बारे में एक मीडिया से बात. उन्होंने कहा कि अंधेरी रात में दृश्यता न के बराबर थी. मुठभेड़ स्थल भी गांव के बाहरी हिस्से में था जहां से जंगल शुरू होता था. घने पेड़ों के बीच एक घर में आतंकी छिपे हुए थे. उन्होंने आगे बताया कि छिपते और संभाल कर सुरक्षा बलों ने घर को चारों तरफ से घेर लिया. कुछ ही देर में आतंकियों को अपने घिरे होने की जानकारी मिल गई. उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. जवानों ने पेड़ की ओट में खुद को बचाया और जवाबी गोलीबारी करने लगे.
मेजर राजेंद्र प्रसाद अगले दिन सुबह होने पर सुरक्षा बलों को लगभग सटीक जानकारी हुई कि घर में छिपे आतंकियों की तादाद 3 थी. उनके पास भारी मात्रा में गोला-बारूद था. वो सभी घर की अलग-अलग लोकेशन से गोलियां बरसा रहे थे. आखिरकार मेजर रजेन्द्र ने खुद को आगे रखते हुए घर की तरफ मूव किया. गोलियों की बौछार से खुद और अपने साथियों को बचाते हुए वो घर के पास पहुंच गए. इस बीच कई गोलियां उन्हें और उनके साथियों को छू कर निकल गईं. घेराबंदी कड़ी होती देख कर तीनों आतंकियों ने हमला तेज कर दिया.
इन तमाम खतरों को उठाते हुए आखिरकार एक-एक कर के मेजर राजेंद्र के नेतृत्व में तीनों आतंकियों का खात्मा हुआ. रात करीब 10 बजे से शुरू हुई मुठभेड़ अगले दिन शाम लगभग 8 बजे खत्म हुई. तीनों आतंकियों के शव घर और उसके आसपास अलग-अलग लोकेशन पर पड़े पाए गए थे. इन सभी के पास घातक हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए थे. तीनों आतंकी लश्कर ए तैयबा के सदस्य थे. ये सभी सेना और आम नागरिकों पर हुए कई आतंकी हमलों में शामिल थे. साथ ही इनकी तैयारी बड़े हमले की भी थी लेकिन उस से पहले ये मेजर राजेंद्र प्रसाद और उनकी टीम द्वारा ढेर कर दिए गए.
वहीं, मेजर राजेंद्र प्रसाद जाट और उनकी टीम द्वारा जिन 3 आतंकियों को ढेर किया गया था उसमें कश्मीर का मोस्ट वॉन्टेड लतीफ़ राठर भी शामिल था. लतीफ़ राठर लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय आतंकी था जिसने मई 2022 में आमरीन नाम की कश्मीरी लड़की की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी थी क्योंकि वो सोशल मीडिया पर रील बनाती थी. लतीफ़ भारत में शरिया कानून लागू करने की विचारधारा रखता था और आमरीन के काम को गैर इस्लामिक मानता था. इसके अलावा लतीफ़ राठर ने कई सैन्य शिविरों और कश्मीरी हिन्दुओं पर आतंकी हमलों को लीड किया था. इन घटनाओं में चर्चित राहुल भट हत्याकांड भी शामिल है.