भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस तिथि को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस शुभ अवसर पर गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। बप्पा की विदाई का दृश्य बेहद मनमोहक होता है। गणेश विसर्जन पर भक्तों ने नाच-गाकर गणपति को विदाई दी। साथ ही भगवान गणेश की मूर्ति को पवित्र नदियों में विसर्जित किया जाता है। मान्यता है कि बप्पा जाते-जाते अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।
मान्यता है कि बप्पा जाते-जाते अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते है। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि गणपति विसर्जन क्यों किया जाता है? दस दिन की पूजा के बाद भगवान गणेश की मूर्ति को पानी में क्यों विसर्जित कर दिया जाता है? आइए आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीदेव व्यास ने गणेश चतुर्थी से लगातार दस दिनों तक भगवान गणेश को महाभारत की कथा सुनाई थी। दस दिन बाद जब वेद व्यास जी की आंखें खुलीं तो उन्होंने पाया कि दस दिनों की कड़ी मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है। ऐसे में वेद व्यास जी तुरंत गणेश जी को पास के एक सरोवर में ले गए और उन्हें ठंडे पानी से स्नान कराया। कहा जाता है इसीलिए चतुर्दशी के दिन गणेश स्थापना करके उन्हें शीतल किया जाता है।
गणेश चतुर्दशी और विसर्जन की महिमा
गणेशोत्सव की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। चतुर्दशी तिथि तक भगवान गणेश की पूजा की जाती है। श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना चतुर्थी तिथि को की जाती है और विसर्जन चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इन नौ दिनों को गणेश नवरात्री कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मूर्ति का विसर्जन करने से भगवान फिर से कैलाश पर्वत पर पहुंच जाते हैं। स्थापना से भी अधिक महिमा विसर्जन की है। इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त होते हैं। इसलिए इस दिन को अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त - सुबह 09 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक।
दोपहर का मुहूर्त - दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से लेकर 04 बजकर 51 मिनट तक।
शाम मुहूर्त- दोपहर 07 बजकर 51 मिनट से लेकर 09 बजकर 19 मिनट तक।
रात्रि मुहूर्त- दोपहर 10 बजकर 47 मिनट से लेकर 18 सितंबर को रात्रि 03 बजकर 11 मिनट तक।
गणेश विसर्जन के नियम
1. गणपति को विसर्जन के लिए ले जाते समय एक बात का ध्यान रखें कि उनका मुख घर की ओर होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि घर की ओर पीठ रखने से भगवान गणेश नाराज हो जाते हैं।
2. गणेश विसर्जन से पहले गणपति बप्पा से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ाने की प्रार्थना करें और जाने-अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए उनसे क्षमा मांगें।
3. विसर्जन से पहले भगवान की आरती करनी चाहिए और प्रिय वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए।
4. गणपति बप्पा को शुभ मुहुर्त में विदा करना चाहिए।
5. पूजा के दौरान अर्पित की गई चीजों को भगवान में ही विसर्जित करना चाहिए।
6. भगवान गणेश से अगले वर्ष आने की कामना करनी चाहिए।
गणेश विसर्जन की पूजन विधि
गणेश विसर्जन से पहले गणेश जी की विधिवत पूजा करें. पूजा के समय उन्हें मोदक एवं फल का भोग लगाएं। इसके साथ ही गणेश जी की आरती करे। अब गणेश जी से विदा लेने की प्रार्थना करे। पूजा स्थल से गणपति महाराज की प्रतिमा को सम्मान-पूर्वक उठाएं. पटरे पर गुलाबी वस्त्र बिछाएं। प्रतिमा को एक लकड़ी के पटे पर धीरे से रखे। लकड़ी के पटरे को पहले गंगाजल से उसे पवित्र जरूर करें। गणेश मूर्ति के साथ फल-फूल, वस्त्र एवं मोदक रखे। थोड़े चावल, गेहूं और पंचमेवा रखकर पोटली बनाएं। उसमें कुछ सिक्के भी डाल दे। उस पोटली को गणेश जी की प्रतिमा के पास रखें।अब गणेश जी की मूर्ति को किसी बहते हुए जल में विसर्जन कर दे। गणपति का विसर्जन करने से पहले फिर से उनकी आरती करे। आरती के बाद गणपति से मनोकामना करें।