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Kamika Ekadashi 2024: सावन की पहली एकादशी है कामिका एकादशी, बन रहें 3 संयोग, हरि और हर को ऐसे करें प्रसन्न...

Kamika Ekadashi: श्रावण मास की पहली एकादशी भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों को प्रसन्न करने का अवसर है।

Ravi Rohan
  • Jul 26 2024 8:27PM

श्रावण मास की पहली एकादशी का व्रत कामिका एकादशी कहलाती है। यह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखी जाती हैं। कामिका एकादशी चातुर्मास की दूसरी एकादशी होती है, जिसमें भगवान श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में होते हैं। मगर श्रीहरि के योग निद्रा में होने से पूजा में कोई अंतर नहीं होता है। आज हम जानेंगे कि सावन की पहली एकादशी कब है? कामिका एकादशी किस दिन है? कामिका एकादशी के दिन कौन-कौन से योग बन रहे हैं? कामिका एकादशी पर पूजा का मुहूर्त और पारण समय कब है?

सावन की पहली एकादशी

हिन्दू पंचांग केअनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 जुलाई को है, जो कि शाम 4 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होगी। इस तिथि का समापन 31 जुलाई को दोपहर 03:55 पर होगा। उदयातिथि के आधार पर सावन की पहली एकादशी 31 जुलाई दिन बुधवार को मानी जाएगी। 

कामिका एकादशी पूजा मुहूर्त

कामिका एकादशी के व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात:काल 04:18 से प्रात: 05:00 तक स्नान के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन सूर्योदय 05:42 पर होगा। कामिका एकादशी को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग में एकादशी 

 इस वर्ष की कामिका एकादशी की तिथि सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ रही है। एकादशी पर पूरे दिन यह शुभ योग बना रहेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस योग में आप जो भी कार्य करते हैं, उसके शुभ फल प्राप्त होते हैं।  इस दिन प्रात:काल से लेकर दोपहर 2:14 तक ध्रुव योग है। इसी दिन रोहिणी नक्षत्र सुबह 10:12 तक है, उसके बाद मृगशिरा नक्षत्र प्रारंभ होगी।

कामिका एकादशी पारण समय

 31 जुलाई को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाएगा, इसलिए पारण 1 अगस्त गुरुवार के दिन किया जाएगा। पारण का समय सुबह 5:43 से सुबह 8:24 के बीच है। 1 अगस्त को द्वादशी तिथि का समापन दोपहर 3:28 पर होगा।

कामिका एकादशी महात्मय

 भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि, जो व्यक्ति कामिका एकादशी का व्रत और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत करता है, उसके सभी दुख और पाप नष्ट हो जाते हैं। तथा उसे जीवन के अंत में मोक्ष प्राप्त होता है। केवल कामिका एकादशी की व्रत कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। 

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