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Sreebhumi: असम सरकार ने करीमगंज जिले का बदला नाम, अब कहलाएगा 'श्रीभूमि'

Sribhumi: असम सरकार ने करीमगंज जिले का बदला नाम, अब कहलाएगा 'श्रीभूमि'

Ravi Rohan
  • Nov 19 2024 7:39PM

असम सरकार ने करीमगंज जिले का नाम बदलकर 'श्रीभूमी' करने का ऐलान किया है। यह निर्णय असम राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसमें मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने खुद इस बदलाव की घोषणा की। यह कदम राज्य की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को सशक्त करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

नाम परिवर्तन का उद्देश्य और महत्व

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस निर्णय की वजह बताते हुए कहा कि "करीमगंज" शब्द का कोई स्पष्ट अर्थ नहीं है, न ही यह असमिया या बंगाली भाषा में कोई सांस्कृतिक संदर्भ रखता है। उन्होंने कहा कि 'श्रीभूमी' नाम जिले की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को उजागर करेगा, जो असम की समृद्ध विविधता और इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री ने इसे असम की सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करने वाला कदम बताया। 

सरमा ने यह भी साझा किया कि कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने 100 साल पहले करीमगंज जिले को "श्रीभूमि" अर्थात मां लक्ष्मी की भूमि के रूप में वर्णित किया था। इसी ऐतिहासिक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए अब इसे 'श्रीभूमी' नाम दिया जा रहा है। 

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस फैसले के बाद, विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक हलकों से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे एक प्रतीकात्मक परिवर्तन मानते हुए सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस नाम परिवर्तन से क्षेत्र के विकास या सामाजिक स्थिति में कोई वास्तविक परिवर्तन आएगा।

पंचायत चुनावों की घोषणा 

सीएम सरमा ने इस फैसले के साथ राज्य में आगामी पंचायत चुनावों की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि असम में पंचायत चुनाव दो चरणों में होंगे। पहले चरण का मतदान दिसंबर 2023 में होगा, और चुनाव की पूरी प्रक्रिया 10 फरवरी 2024 तक पूरी हो जाएगी। चुनाव की नामावली 30 दिसंबर को प्रकाशित की जाएगी, जिससे उम्मीदवारों और मतदाताओं को पूरी जानकारी मिल सकेगी।

नए बदलाव से जुड़ी उम्मीदें 

वहीं, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य के लोगों से अपील की है कि वे इस ऐतिहासिक बदलाव का स्वागत करें और अपने क्षेत्र के विकास में भागीदार बनें। 'श्रीभूमी' नाम को लेकर जो ऐतिहासिक संदर्भ सामने आया है, उससे यह क्षेत्र एक नई पहचान हासिल करेगा, जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए गर्व का विषय होगा, बल्कि असम की सांस्कृतिक विरासत को भी एक नई दिशा देगा। 

करीमगंज का नाम बदलने से क्षेत्रीय पहचान और सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। अब यह देखना होगा कि इस बदलाव के साथ-साथ अन्य पहलुओं में भी सुधार की दिशा में कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

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