पिछले महीने अपनी 24वीं जयंती मनाने वाला छत्तीसगढ़ आज विकास और सांस्कृतिक पहचान के अहम मोड़ पर खड़ा है। 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर बने इस राज्य ने बीते 24 वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन चुनौतियों का सामना भी किया है। उम्मीदों का यह प्रदेश किस तरह सम्भावनाओं के स्वर्णिम राह में है, इसे बता रहे हैं पीयूष शंकर मिश्रा
आर्थिक विकास में बढ़त, पर रोजगार चुनौती
छत्तीसगढ़ की आर्थिक प्रगति प्रशंसनीय रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 8% की GSDP वृद्धि राष्ट्रीय औसत से अधिक रही। सामाजिक कल्याण के लिए 39% बजट आवंटित कर सरकार ने वंचित वर्गों के सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी। हालांकि, राज्य में बेरोजगारी दर में सुधार हुआ है, लेकिन अल्प-रोजगारी और शिक्षा-रोजगार के बीच असंतुलन अब भी चिंता का विषय है। युवा पीढ़ी को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने हेतु राज्य सरकार ने रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है।
कृषि और खनिज संपदा: वरदान और चुनौती
कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन इसे स्थायी बनाने के लिए माइक्रो-इरिगेशन, जैविक खेती और आधुनिक भंडारण सुविधाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। खनिज संपदा के मामले में समृद्ध छत्तीसगढ़ औद्योगिक विकास का केंद्र है, लेकिन खनन से पर्यावरणीय क्षरण और विस्थापन जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। साथ ही, नक्सलवाद के कारण औद्योगिक विकास में बाधाएं आती रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2026 तक राज्य से नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य तय किया है।
स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं से संघर्ष
स्वास्थ्य क्षेत्र में 7.1% बजट आवंटित होने के बावजूद दूरस्थ क्षेत्रों में सुविधाएं पहुंचाना चुनौती है। CAG की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है। इसके अलावा, शराब सेवन राज्य में एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुका है। एम्स दिल्ली की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ की 35.6% आबादी शराब का सेवन करती है, जिससे स्वास्थ्य और सामाजिक ताने-बाने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
संतुलित विकास की दिशा में कदम
राज्य सरकार को अलोकप्रिय लेकिन साहसिक निर्णय लेकर संतुलित विकास सुनिश्चित करना होगा। खनिज संपदा, हरित ऊर्जा और कृषि में निवेश करके छत्तीसगढ़ विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
छत्तीसगढ़िया, सबले बढ़िया
24 वर्षीय युवा की तरह छत्तीसगढ़ संभावनाओं और चुनौतियों के बीच खड़ा है। सही नीतियों और समावेशी दृष्टिकोण से यह राज्य न केवल अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है, बल्कि देश के लिए विकास का आदर्श बन सकता है।