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Jagannath Rath Yatra: दो दिन रथ पर दर्शन देंगे भगवान जगन्नाथ, सन् 1971 के बाद दोहराया जा रहा इतिहास

जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव पुरी सहित विश्व भर में 7 जुलाई को मनाया जाएगा।

Ravi Rohan
  • Jul 3 2024 4:57PM

ओडिशा के पुरी में सालाना आयोजित होने वाली विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ रथयात्रा का समारोह इस वर्ष दो दिन तक मनाया जाएगा। आमतौर पर हम सभी ने आज तक जगन्नाथ रथयात्रा को सुबह सुबह ही गुंडिचा मंदिर के लिए प्रस्थान करते हुए ही देखा है। इस बार 7 जुलाई को जगन्नाथ रथयात्रा का उत्सव पुरी सहित विश्व भर के कई स्थानों पर मनाया जाएगा। पुरी के ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में तिथियां कम हो गई है, जिस वजह से रथयात्रा शुरु होने से पहले के अनुष्ठानों को 7 जुलाई की शाम तक सम्पन्न किया जाएगा।

इस प्रकार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा के साथ अगले दिन 8 जुलाई को अपने गंतव्य तक पहुंचेंगे। रथयात्रा की तिथि में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि सुबह प्रारंभ होने वाली रथयात्रा को शाम को रवाना किया जाएगा। पंचांग की जानकारी रखने वालों के अनुसार इससे पूर्व सन् 1971 में भी ऐसा ही संयोग हुआ था।

सूर्यास्त के बाद थम जाता रथ का पहिया

7 जुलाई को दिनभर पूजा व परंपरिक अनुष्ठान चलेंगे व संध्या काल में 4 बजे के करीब रथयात्रा शुरू की जाएगी। सूर्यास्त होने के बाद भगवान का रथ नहीं चलाया जाता है. इसलिए रथों को रास्ते में ही रोक कर विश्राम दिया जाएगा। अगले दिन यानी 8 जुलाई को तरके रथ हांकना शुरू करेंगे। इसी दिन रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे।

15 दिन बीमार रहते हैं जगत के नाथ 

मान्यता के अनुसार भगवान अपने भाई बहन सहित जेठ महीने की पूर्णिमा स्नान पूर्णिमा के स्नान के बाद 15 दिन के लिए बीमार रहते हैं। हर साल आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष के इन 15 दिनों तक जगन्नाथ स्वामी भक्तों को मंदिर में दर्शन नहीं देते है। 16वें दिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है जो कि इस बार 7 जुलाई को होगा। और इस दर्शन को नवयौवन का दर्शन कहते हैं। तिथि के अनुसार इस साल आषाढ़ कृष्ण पक्ष 15 की जगह 13 दिन का ही है। इसलिए भगवान के स्वस्थ होने का दिन रथयात्रा वाली तिथि को ही पड़ रहा है।

दो दिन की सरकारी छुट्टी घोषित

मंगलवार को पुरी में आयोजित हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने 7 और 8 जुलाई को सरकारी छुट्टी देने की घोषणा की है। रथयात्रा की तिथि में बदलाव नहीं किया जा सकता है, इसलिए श्रृंगार व नैत्रोत्सव के बाद रथयात्रा से पूर्व होने वाली पूजाएं होगी। सूर्यास्त के पहले भगवान को रथों पर स्थापित कर रथों के रस्सी को खींचा जाएगा। इस दौरान ओडिशा सरकार ने भी दो दिन जगन्नाथ रथयात्रा होने के कारण शहर में दो दिन के लिए सरकारी कार्यालय, स्कूल और कॉलेज बंद रखने के आदेश दिए हैं।

7 दिन बाद मंदिर लौटेंगे भगवान

प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान जगन्नाथ, अपने बड़े भाई बलदेव और बहन सुभद्रा के संग तीन अलग अलग रथों पर आरुढ़ होकर मुख्य मंदिर से 3 कि.मी. दूर गुंडिचा मंदिर यानी अपनी मौसी के घर जाते हैं। अगले सात दिनों तक भगवान के श्रीविग्रह इसी मंदिर में विराजमान रहते हैं। आठवें दिन को तीनों रथ अपने मुख्य मंदिर लौटते हैं। जगन्नाथ महाप्रभु की मंदिर वापसी वाली यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है। भगवान इतने करुणा-सागर है कि भक्तों को मंदिर से स्वयं बाहर आकर दर्शन देने के बहाने रथयात्रा की लीला करते हैं।








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