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Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी से 4 महीने योग निद्रा में रहते हैं श्रीहरि, जानें इस बार बनाने वाले 5 शुभ संयोग

आषाढ़ शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली देवशयनी एकादशी के बाद चातुर्मास का होता है प्रारंभ।

Ravi Rohan
  • Jul 12 2024 3:22PM

भगवान विष्णु के सबसे प्रिय तिथि एकादशी को मन जाता है। इस दिन जो भी मनुष्य भगवान के स्मरण के साथ एकादशी का विधिवत पालन करता है, उस पर श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपा बरसती है। इनकी कृपा मिलने के बाद भौतिक और आध्यात्मिक दोनों संपदा आसानी से प्राप्त हो जाती है। साल के हर महीने दो एकादशी तिथि पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। एकादशी तिथि को संसार के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विधान है।

अनेक शुभ फल देने वाली इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के किए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर साल देवशयनी एकादशी के दिन को क्षीरोदशायी भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं।

देवशयनी एकादशी 2024 कब है?
हिन्दू पंचांग के मुताबिक, इस साल 2024 में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, जिसे देवशयनी एकादशी कहते हैं मंगलवार 16 जुलाई 2024 को रात्रि 8 बजकर 33 मिनट पर शुरू हो रही है। और इसका समापन 17 जुलाई को रात 9 बजकर 2 मिनट पर होगा। ऐसे में इस बार देवशयनी एकादशी व्रत 17 जुलाई बुधवार के दिन रखी जाएगी।

मांगलिक कार्यों पर रोक
देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने के साथ समस्त देवगण भी सो जाते हैं। इसलिए इस दिन से हिन्दू समाज में मांगलिक कार्यों को करने पर प्रतिबंध लग जाता है। शादी, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, उद्घाटन जैसे शुभ संस्कार करने के लिए देवों का जागृत अवस्था में रहना आवश्यक है। नहीं तो इनका शुभ फल नहीं मिलता है। वामन पुराण में भगवान विष्णु और अन्य देवों के शयन के विषय में महर्षि पुलस्त्य ने देवऋषी नारद को बताया है। पुलस्त्य जी कहते हैं कि, "आषाढ़ पूर्णिमा के बाद उत्तरायण चलता रहता है, तब भगवान श्रीहरि शेषशय्या पर शयन करने जाते हैं। भगवान के सोने के बाद देवता, देव माताएं, गंधर्व, यक्ष सब सो जाते हैं। इस दिन से चातुर्मास का प्रारंभ होता है। यानी, देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक कोई मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

देवशयनी एकादशी 2024: मुहूर्त और पारण समय
आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि का आरंभ: 16 जुलाई, मंगलवार, रात 08:33 मिनट से
आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 17 जुलाई, बुधवार, रात 09:02 मिनट पर
एकादशी पूजा का मुहूर्त- प्रात: 05:34 से
देवशयनी एकादशी व्रत पारण समय- 18 जुलाई, प्रात: 05:35 से प्रात: 8:20 के बीच।

देवशयनी एकादशी पर क्या करें?
इस सूर्योदय से पूर्व स्नान करके स्वच्छ पीले या श्वेत वस्त्र धारण करें।
एकादशी व्रत से पहले व्रत का संकल्प लें।
मां लक्ष्मी के संग भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
व्रत के पारण के बाद धन, अन्न और वस्त्र का दान करना चाहिए।

देवशयनी एकादशी पर क्या ना करें?

एकादशी के दिन तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
अन्न अथवा केवल चावल का सेवन न करें।
किसी का अपमान या झूठ न बोलें।
इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित है।
किसी के प्रति मन में गलत विचार धारण न करें।

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