दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के यमुना के पानी को लेकर दिए गए बयान पर चुनाव आयोग संतुष्ट नहीं है। केजरीवाल ने दावा किया था कि हरियाणा सरकार यमुना के पानी को जानबूझकर जहरीला बना रही है, ताकि दिल्ली में ‘जेनोसाइड’ किया जा सके। इस पर चुनाव आयोग ने उन्हें स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे अपने आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत पेश करें।
नई समय सीमा का निर्धारण
चुनाव आयोग ने केजरीवाल को एक बार फिर 31 जनवरी सुबह 11 बजे तक का समय दिया है। आयोग का कहना है कि केजरीवाल का दिया गया जवाब उनके बयान पर कुछ भी स्पष्ट नहीं था, और वह पूरी तरह से ‘साइलेंट’ था। आयोग ने उनसे यह पूछा है कि वे यह बताएं कि हरियाणा सरकार ने यमुना में किस तरह का जहरीला पदार्थ डाला है, उसकी मात्रा कितनी थी, और कैसे यह 'जेनोसाइड' का कारण बन सकता है।
आयोग ने सबूत की मांग की
चुनाव आयोग ने केजरीवाल से यह भी कहा है कि वे यह साबित करें कि इस जहरीले पदार्थ की मौजूदगी कहां और कब पाई गई। इसके अलावा, आयोग ने यह भी पूछा है कि दिल्ली जल बोर्ड के किस इंजीनियर ने इस जहर की पहचान की और इसके रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए गए?
BJP और कांग्रेस की शिकायत पर कार्रवाई
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी, जिसके बाद आयोग ने केजरीवाल से 28 जनवरी को उनके बयान पर जवाब देने के लिए एक दिन का समय दिया था। हालांकि, केजरीवाल के जवाब से आयोग संतुष्ट नहीं था, और उन्होंने उन्हें और समय दिया है।
आयोग की कड़ी निगरानी
चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, केजरीवाल को अपने बयान से जुड़ी सभी जानकारी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करनी होगी, ताकि यह आरोपों की सच्चाई को साबित किया जा सके।