इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ
विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू होने के समाचार से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर 13 जनवरी को समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता पूरे दिन विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधेंगे और राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों/ परियोजनाओं पर विरोध सभाएं करेंगे। संघर्ष के अगले कार्यक्रमों की घोषणा कल की जाएगी।
आज अवकाश के दिन बिजली कर्मचारियों ने गोमती नगर एक्सटेंशन में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से आम उपभोक्ताओं से व्यापक सम्पर्क किया और उन्हें निजीकरण से होने वाले नुक्सान से अवगत कराया। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि 05 दिसम्बर को भी एनर्जी टास्क फोर्स ने इसी प्रकार का निर्णय लिया था। यह निर्णय क्या था और इसे क्यों निरस्त करना पड़ा इसे आम उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के सामने रखना चाहिए।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन निजीकरण की जल्दी में उप्र सरकार को बदनाम करने में लगा है। संघर्ष समिति ने पॉवर कॉरपोरेशन प्रबन्धन पर कुछ चुनिंदा निजी घरानों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया और कहा कि प्रबंधन लाखों करोड़ रुपए की वितरण निगमों की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल पहले से तय निजी घरानों को बेचना चाह रहा है। वितरण निगमों की पूरी जमीन मात्र एक रुपए प्रति वर्ष की लीज पर देने का घातक निर्णय लिया जा रहा है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि इसी दृष्टि से ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट नियुक्त किए जाने की योजना बनाई गई है।
संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर विद्युत वितरण निगमों की परिसंपत्तियों की खुली लूट नहीं होने देंगे और निजीकरण का निर्णय वापस होने तक सतत संघर्ष जारी रहेगा। राजधानी लखनऊ में 13 जनवरी को सायं 05 बजे शक्ति भवन पर विरोध सभा होगी।