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Kharna 2024: कल रखा जाएगा खरना का व्रत, जानें कैसे रखे निर्जला व्रत और खरना पूजन विधि

छठ पूजा का त्योहार कार्तिक माह में मनाया जाता है। यह त्यौहार सूर्य देव को समर्पित है। यह त्योहार महिलाएं अपने बच्चों की खुशी और लंबी उम्र के लिए रखती हैं।

Rashmi Singh
  • Nov 5 2024 4:25PM

छठ पूजा को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है। इसमें छठी मैया यानी षष्ठी देवी और भगवान भास्कर (भगवान सूर्य) की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।

छठ का महापर्व आज यानी 5 नवंबर को नहाय खाय परंपरा के साथ शुरू हो गया है। छठ को सूर्य देव की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। छठ महापर्व के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। खरना का मतलब कुछ इस प्रकार है- खर यानी शुद्ध अर्थात इस दिन पुनः शुद्धि और पवित्रता पर जोर दिया गया है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ये व्रत शुरू हो जाता है. जानें खरना का मुहूर्त, विधि और नियम। 

छठ पूजा 2024 खरना 

छठ पूजा के दूसरे दिन 6 नवंबर को खरना किया जाएगा। कार्तिक मास की पंचमी तिथि के दिन को खरना कहा जाता है। इसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है। खरना के दिन महिलाएं शाम को मीठा भोजन करके अपने व्रत की शुरुआत करती हैं।
खरना पर खीर कब बनते हैं ? 

खरना के दिन शाम को मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी पर खाना पकाया जाता है। इसके बाद केले के पत्तों पर खाना खाने की प्रथा है। गुड़ की रोटी और खीर के साथ केला खाने का भी प्रावधान है।  खरना की खीर ऐसे समय बनाई जाती है जब आसपास कोई शोर-शराबा न हो. व्रती ऐसे समय में प्रसाद खाने के लिए बैठती हैं जब आसपास कोई नहीं होता है और कोई शोर-शराबा भी नहीं होता है.  इसके बाद अगले 36 घंटों तक उसे न तो कुछ खाना चाहिए और न ही कुछ पीना चाहिए। व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही खरना कहा जाता है। 

खरना के दिन व्रत कैसे शुरू करें

1. ध्यान रहे कि जिस कमरे में छठी मैया का खरना किया जाता उसी कमरे में व्रती ये प्रसाद खाती हैं। इसके बाद व्रती द्वारा प्रसाद परिवार के सदस्यों को बांटा दी जाती. पूजा घर में ही व्रती सोती है। 

2. खरना के दिन शाम को व्रती खीर ग्रहण करते हैं और फिर उसके बाद अन्न-जल का त्याग करते हैं। 36 घंटे का निर्जला व्रत किया जाता है।

3. खरना के उपवास के दौरान छठी मैया को चढ़ने वाले पकवान यानी कि ठेकुआ, पेडुकिया और अन्य सामग्री बनाती है।  इसे अर्घ्य देने के दौरान टोकरी में रखकर छठी मैया को चढ़ाए जाते है। 

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

छठ पूजा का महत्व

 छठ पर्व में सूर्य देव और छठी माता की पूजा की जाती है। सूर्य को जीवनदाता और छठी माता को संतान की देवी माना जाता है। इस त्योहार के माध्यम से लोग इन देवताओं से अपने परिवार की समृद्धि और अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करते हैं। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है। छठ का व्रत बहुत कठिन होता है। व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते है। साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है। इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते है। इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है। 

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