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Chhath Puja 2024: महापर्व छठ पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य क्यों देते है ? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

छठ पूजा का त्योहार कार्तिक माह में मनाया जाता है। यह त्यौहार सूर्य देव को समर्पित है। यह त्योहार महिलाएं अपने बच्चों की खुशी और लंबी उम्र के लिए रखती हैं।

Rashmi Singh
  • Nov 4 2024 8:54AM

छठ पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह चार दिवसीय व्रत सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। इस त्यौहार का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टि से बहुत महत्व है। यह त्यौहार दिवाली के कुछ ही दिन बाद आता है। छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय की परंपरा से होती है। यह त्यौहार 4 दिनों तक चलता है।

दूसरे दिन खरना की रस्म निभाई जाती है. छठ पूजा के तीसरे दिन यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की जाती है। छठ पूजा के चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन होता है। हिंदू धर्म में उगते सूर्य को जल या अर्घ्य तो दिया ही जाता है, लेकिन छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है। आइए जानते हैं छठ पूजा पर डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है? 

छठ पूजा में इस कारण से डूबते हुए सूरज को दिया जाता है अर्घ्य

छठ पूजा के तीसरे दिन यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की जाती है। इस दिन शाम के समय किसी तालाब या नदी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि सूर्यास्त के समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं और इस समय उन्हें अर्घ्य देने से जीवन में चल रही सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।  

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का मुख्य कारण यह है कि सूर्य का अस्त होना जीवन के उस चरण को दर्शाता है जहां व्यक्ति की कड़ी मेहनत और तपस्या का फल मिलने का समय आ जाता है। ऐसा माना जाता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संतुलन, शक्ति और ऊर्जा मिलती है। साथ ही डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से यह भी पता चलता है कि जीवन में हर उदय के बाद पतन होता है और हर पतन के बाद फिर से एक नया सवेरा होता है। 

छठ पूजा 2024 तिथि  

पंचांग के अनुसार छठ पूजा का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 2024 में षष्ठी तिथि गुरुवार, 7 नवंबर को सुबह 12:41 बजे शुरू होगी और शुक्रवार, 8 नवंबर को सुबह 12:34 बजे समाप्त होगी। 

छठ पूजा का त्योहार उदया तिथि के अनुसार 7 नवंबर, गुरुवार को ही मनाया जाएगा। छठ पूजा को संपन्न करने के लिए 7 नवंबर को शाम का अर्घ्य और 8 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद व्रत खोला जाएगा। 

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

छठ पूजा का महत्व

छठ पर्व में सूर्य देव और छठी माता की पूजा की जाती है। सूर्य को जीवनदाता और छठी माता को संतान की देवी माना जाता है। इस त्योहार के माध्यम से लोग इन देवताओं से अपने परिवार की समृद्धि और अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करते हैं। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है। छठ का व्रत बहुत कठिन होता है। व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते है। साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है। इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते है। इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है। 

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