दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब मैंने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मुद्दें पर भारत सरकार के विरुद्ध फैसला दिया था तो मुझे निष्पक्ष बताया गया था। उन्होंने कहा कि जब आप इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मुद्दें पर फैसला करते हैं, तब आप पूरी तरह स्वतंत्र हैं। किंतु, अगर आपका कोई फैसला सरकार के पक्ष में चला जाता है, तब आप स्वतंत्र नहीं रह जाते। मेरे अनुसार यह स्वतंत्रता की परिभाषा नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका की आजादी का मतलब ये नहीं है कि हमेशा सरकार के खिलाफ ही फैसले दिए जाएं।
मुख्य न्यायाधीश ने क्या कहा?
सीजेआई ने जनता से न्यायाधीशों के फैसलों में भरोसा रखने की अपील की। साथ ही, कहा कि न्यायिक व्यवस्था का निष्पक्ष रहना बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की आजादी का मतलब सरकार के प्रभाव से स्वतंत्रता है। किंतु, केवल एक चीज नहीं है, जिससे न्यायपालिका आजाद मानी जाएगी। हमारा समाज बदल गया है। विशेषकर सोशल मीडिया का इस पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। अब, ऐसे समूह बन गए हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रयोग कर कोर्ट पर दबाव बनाते हैं और अपने पक्ष में निर्णय कराने का प्रयास करते हैं।
जज को स्वतंत्र होना चाहिए
सीजेआई ने कहा कि जज को स्वतंत्र होना चाहिए। साथ ही, उसे अपने विवेक के आधार पर फैसले करने चाहिए और बेशक उनके फैसले कानून और संविधान के आधार पर होने चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे कई समूह हैं, जो न्यायपालिका को तब ही स्वतंत्र मानते हैं, जब उनके पक्ष में फैसला होता है। सनद रहे कि डीवाई चन्द्रचूड़ दस नवंबर को अपने पद से सेवानिवृत हो रहे हैं।