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#BoycottBangladeshCricket : सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी के विरोध के बाद देशभर के हिंदुओं का फूटा गुस्सा...भारत-बांग्लादेश मैच का जमकर किया विरोध

भारत और बांग्लादेश के बीच मैच खेलने से भारत की गरिमा को ठेस पहुंचती है

Sumant Kashyap
  • Sep 28 2024 1:30PM

सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी ने भारत और बांग्लादेश के बीच चल रहे क्रिकेट मैच का जमकर विरोध किया था. जिसके बाद देशभर  के तमाम हिंदू इस मैच का विरोध करना शुरू कर दिया. क्रिकेट, जिसे भारत और बांग्लादेश में एक धर्म की तरह माना जाता है, अब विरोध का कारण बन गया है, और यह विरोध सिर्फ खेल से संबंधित नहीं बल्कि इससे जुड़े व्यापक सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं को भी उजागर करता है. 

जनकारी के लिए बता दें कि विरोध करने वाले धार्मिक और राष्ट्रवादी लोगों का कहना है कि भारत और बांग्लादेश के बीच मैच खेलने से भारत की गरिमा को ठेस पहुंचती है. इन लोगों का कहना कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के चलते भारत को इस देश के साथ कोई भी खेल या सांस्कृतिक गतिविधि नहीं करनी चाहिए. उनका मानना है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर होने वाले हमलों के प्रति भारत को अपना विरोध प्रदर्शन करना चाहिए और ऐसे में क्रिकेट मैच खेलना एक तरह से उस देश के प्रति समर्थन के समान है.

राष्ट्रवाद और खेल

भारत के हिंदूवादी लोगों इस विरोध को एक बड़े संदर्भ में रखते हैं. उनका कहना है कि भारत को अपने राष्ट्रीय सम्मान और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करना चाहिए. उनके अनुसार, खेल के मैदान पर होने वाली प्रतिस्पर्धा से दोनों देशों के बीच किसी भी प्रकार के अच्छे संबंध नहीं बन सकते, जब तक कि राजनीतिक और धार्मिक मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता. इसके अलावा, भारत-बांग्लादेश के इतिहास में हुए संघर्षों का भी उल्लेख किया जा रहा है, जिसे इन समूहों द्वारा इस विरोध का आधार बनाया गया है.

सरकार और बीसीसीआई की भूमिका

भारत सरकार और बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) ने इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन यह साफ है कि यह मामला आगे चलकर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है. बीसीसीआई का हमेशा से यह मानना रहा है कि खेल को राजनीति से दूर रखना चाहिए, लेकिन इस बार जिस तरह से विरोध हो रहा है, वह बीसीसीआई के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है.

बता दें कि भारत-बांग्लादेश क्रिकेट मैचों का विरोध एक नया और जटिल मुद्दा है, जो सिर्फ खेल से नहीं, बल्कि सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक पहलुओं से भी जुड़ा हुआ है. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे का क्या समाधान निकलता है और क्या भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले क्रिकेट मैच बिना किसी बाधा के खेले जा सकेंगे या नहीं ? 

अगर विरोध बड़ा रूप लेता है और सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ता है, तो मैच रद्द होने की संभावना बढ़ सकती है. हालांकि, यह तभी होगा जब विरोध बहुत बड़े पैमाने पर हो और इससे कानून-व्यवस्था को खतरा हो. फिलहाल, सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं, यदि विरोध प्रदर्शन के चलते सुरक्षा में कोई कमी या खतरा महसूस किया जाता है, तो मैचों को स्थगित या रद्द किया जा सकता है. लेकिन अगर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होती है और विरोध का प्रभाव स्टेडियम के बाहर ही सीमित रहता है, तो मैच जारी रह सकते हैं.

आपको बता दें कि अगर धार्मिक और राष्ट्रवादी समूहों को इस मुद्दे पर ज्यादा समर्थन मिलता है या वे इसे और अधिक प्रचारित करते हैं, तो विरोध बढ़ सकता है. ये समूह अगर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हैं, तो और भी संगठनों या जनता का ध्यान आकर्षित हो सकता है, जिससे विरोध व्यापक हो सकता है.

 
 

 
 

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