प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी बुधवार को बिहार के राजगीर में नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा मुझे तीसरे कार्यकाल की शपथ ग्रहण करने के बाद पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है. ये मेरा सौभाग्य तो है ही, साथ ही मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं.
अपने प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का नवजागरण. ये नया कैंपस, विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा. नालंदा बताएगा जो राष्ट्र, मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं. वो राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित करके बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं. नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है.
इसमें विश्व के, एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है. नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भी रही है. मैं इस अवसर पर भारत के सभी मित्र देशों का अभिनंदन करता हूं.तीसरी बार भारत के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद नालंदा आना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं इसे एक अच्छे शगुन के रूप में देखता हूँ!
नालंदा सिर्फ एक नाम नहीं है, यह एक मंत्र है, एक पहचान है, एक घोषणा है कि किताबें आग में नष्ट हो सकती हैं, लेकिन ज्ञान कायम रहता है. नालंदा का पुनरुद्धार भारत के 'स्वर्ण युग' की शुरुआत का प्रतीक होगा. प्राचीन नालंदा में बच्चों का admission उनकी पहचान, उनकी nationality को देखकर नहीं होता था. हर देश, हर वर्ग के युवा यहां आते थे.
नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए कैंपस में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से मजबूती देनी है. दुनिया के कई देशों से यहां students आने लगे हैं. 21 जून को International Yoga Day है. आज भारत में योग की सैकड़ों विधाएँ मौजूद हैं. हमारे ऋषियों ने कितना गहन शोध इसके लिए किया होगा! लेकिन, किसी ने योग पर एकाधिकार नहीं बनाया. आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है, योग दिवस एक वैश्विक उत्सव बन गया है.
भारत ने सदियों तक sustainability को एक model के रूप में जीकर दिखाया है. हम प्रगति और पर्यावरण को एक साथ लेकर चले हैं. अपने उन्हीं अनुभवों के आधार पर भारत ने विश्व को Mission LiFE जैसा मानवीय vision दिया है. नालंदा की ये धरती विश्व बंधुत्व की भावना को नया आयाम दे सकती है. इसलिए नालंदा के विद्यार्थियों का दायित्व और ज्यादा बड़ा है. आप भारत और पूरे विश्व का भविष्य हैं.
अमृतकाल के ये 25 साल भारत के युवाओं के लिए बहुत अहम हैं. ये 25 वर्ष नालंदा विश्वविद्यालय के हर छात्र के लिए भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं. यहां से निकलकर आप जिस भी क्षेत्र में जाएं, आप पर अपनी यूनिवर्सिटी के मानवीय मूल्यों की मुहर दिखनी चाहिए.