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Anant Chaturdashi 2024: अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधते हैं 14 गांठ वाला सूत्र? जानिए क्या है अनंत रक्षासूत्र का महत्व

जानिए अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि,14 गांठों वाला अनंत रक्षासूत्र बाजू पर क्यों बांदा जाता है?

Ravi Rohan
  • Sep 15 2024 6:50PM

हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। पंचांग के अनुसार इस साल अनंत चतुदर्शी 17 सितंबर को है और 10 दिन की पूजा के बाद श्री गणेश प्रतिमा का विसर्जन भी इसी दिन किया जाएगा। कई जगहों पर अनंत चतुर्दशी के दिन बाजू पर अनंत रक्षासूत्र बांधा जाता है। सबसे खास बात यह है कि इस रक्षासूत्र में कुल 14 गांठें लगाई जाती हैं। इसे अनंत डोर भी कहा जाता है और इसका विशेष महत्व माना जाता है।

अनंत सूत्र का महत्व

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन बाजू पर 14 गांठों वाला रक्षासूत्र बांधा जाता है। यह सूत्र सूती या रेशमी धागे से बना होता है। अनंत डोर यानी रक्षा सूत्र में बंधी 14 गांठें अलग-अलग लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति चौदह वर्षों तक पूरे विधि-विधान से पूजा करके चौदह गांठों वाला धागा बांधता है, उसे विष्णु लोक की प्राप्ति हो जाती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हारकर जंगल में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और द्रौपदी सहित इस व्रत को पूरे विधि-विधान से किया और अंत में अनंत सूत्र धारण किया। अनंत चतुर्दशी व्रत के प्रताप से पांडव सभी संकटों से मुक्त हो गए।

 अनंत सूत्र धारण करने का नियम

अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत डोर को पुरुष अपने दाहिने हाथ पर बाजू में बांधते हैं और महिलाएं अपने बाएं हाथ पर बाजू में बांधती हैं। 

अनंत डोर को बांधने से पहले मंदिर में रख कर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा के बाद ही इसे बांधा जाता है।

जिन घरों में अनंत डोर बांधने की परंपरा है वहां लोग उपवास रखते हैं।

अनंत रक्षासूत्र हाथ में 14 दिनों तक बांधकर रखनी चाहिए और 14 दिन बाद इसे उतारकर पूजा के स्थान पर रख देना चाहिए।

यदि कोई 14 दिनों तक धागा बांधकर नहीं रख सकता तो जिस दिन पूजा हुई है उसी दिन धागा उतार कर मंदिर में रख दे।

अनंत सूत्र बांधने के बाद 14 दिनों तक मदिरा या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। 

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