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‘राज्य में अपराध की घटनाओं में आई कमी..’, बोले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, फॉरेंसिक साइंस इकाई में सुधार की भी कही बात

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘पिछले तीन दशक से असम उग्रवाद से जूझ रहा है. पुलिस का ध्यान उग्रवाद-रोधी उपायों पर केंद्रित था. मैं यह नहीं कहूंगा कि उग्रवाद पूरी तरह से खत्म हो गया है, लेकिन घटनाएं कम हो रही हैं.

Geeta
  • Sep 8 2024 11:38AM
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य के सभी 307 थानों की नागरिक समितियों के पहले राज्य-स्तरीय सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य में थानों को और अधिक जन-केंद्रित बनाने की जरूरत है.
 
उन्होंने कहा कि असम में उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में कमी आने के साथ ही थानों को अधिक जन-केंद्रित स्थानों में तब्दील करना होगा. इस दौरान मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक सेवा की जिम्मेदारियों में पुलिसकर्मियों की सहायता के लिए नागरिक समितियों की भूमिका पर भी जोर दिया.

 

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘पिछले तीन दशक से असम उग्रवाद से जूझ रहा है. पुलिस का ध्यान उग्रवाद-रोधी उपायों पर केंद्रित था. मैं यह नहीं कहूंगा कि उग्रवाद पूरी तरह से खत्म हो गया है, लेकिन घटनाएं कम हो रही हैं. पुलिसकर्मियों की ड्यूटी की लंबी और कठिन प्रकृति उन्हें उनके नियमित व्यवहार में कठोर बनाती है. नागरिक समितियों की भूमिका कर्मियों को नागरिक कार्यों में लगे रहने में मदद करने से तनाव भी कुछ कम हो सकता है.

 

उन्होंने कहा कि समाज के भीतर पैदा सकारात्मकता धीमे, लेकिन स्थायी सामाजिक परिवर्तन का कारक हो सकती है. समितियां पुलिस बल को सौंपी गई सार्वजनिक सेवा जिम्मेदारियों के निर्वहन में मदद कर सकती हैं. पुलिस व्यवस्था के दो पहलू हैं- आपराधिक न्याय का प्रशासन और सार्वजनिक सेवा. पहले पहलू को भारतीय न्याय संहिता द्वारा निपटा जा सकता है. आपराधिक न्याय, आपराधिक जांच, आरोप-पत्र दाखिल करना, पहले पहलू में शामिल हैं, समितियों का इस संबंध में कोई लेना-देना नहीं है. सरमा ने कहा, समितियों को थानों और जनता के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने होंगे.

 

राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि थाने मेले और त्योहार आयोजित करने की अनुमति देने, अपने अधिकार क्षेत्र के तहत निवासियों को विभिन्न प्रमाण-पत्र जारी करने जैसी कई जिम्मेदारियां निभाते हैं. समितियां ऐसी सेवाओं के तुरंत निपटान में सकारात्मक भूमिका निभा सकती हैं. अपराध दर में कमी आ रही है. जिन मामलों में फॉरेंसिक राय की जरूरत नहीं है, उनमें आरोप-पत्र समय पर दाखिल किए जा रहे हैं. हम अपने फॉरेंसिक साइंस इकाई में भी सुधार कर रहे हैं, ताकि ऐसे मामलों में भी आरोप-पत्र तीन महीने के भीतर दाखिल किए जा सकें.’ सरमा ने कहा कि नई समितियां अक्टूबर से काम करना शुरू कर देंगी.

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