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Akshay Navami 2024: आंवला वृक्ष की पूजा का पर्व 'अक्षय नवमी' कल, इसी दिन हुआ सतयुग का आरंभ, जानिए व्रत कथा

अक्षय नवमी पर जानें इस शुभ दिन का धार्मिक महत्व और व्रत कथा, पाएं भगवान विष्णु और शिव जी का आशीर्वाद।

Ravi Rohan
  • Nov 9 2024 4:45PM
अक्षय नवमी का पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन का विशेष महत्व है, खासकर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में निवास करते हैं। इस दिन से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु की उपासना विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।

आंवले के वृक्ष की पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु निवास करते हैं, इसीलिए इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी के दिन दान, पुण्य और पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है। इस दिन किए गए दान-पुण्य को अक्षय मानकर इसका महत्व बढ़ जाता है। इसी वजह से इसे "अक्षय नवमी" भी कहा जाता है।

स्नान, पूजा, और दान का महत्व

अक्षय नवमी के दिन विशेष रूप से स्नान, पूजा, और दान का महत्व होता है। इस दिन तर्पण, अन्न दान और आंवले का सेवन करने से व्यक्ति को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन किया गया दान हर प्रकार से शुभ फलदायी माना जाता है।

भगवान विष्णु और शिव का प्रतीक: आंवले का वृक्ष

मान्यता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिव दोनों के गुण होते हैं। कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी ने एक बार भगवान विष्णु और शिव की संयुक्त पूजा करने की इच्छा की। उन्होंने आंवले के वृक्ष की पूजा कर दोनों देवताओं को प्रसन्न किया। इस दिन उन्होंने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर भगवान विष्णु और शिव को अर्पित किया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवले की पूजा की जाती है।

आंवले का सेवन: स्वस्थ्य और समृद्धि की कामना

चरक संहिता के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन आंवला खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है और व्यक्ति निरोगी रहता है। यदि आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाना संभव न हो, तो इस दिन आंवले का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलता है, बल्कि यह पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा भी है।

अक्षय नवमी व्रत कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी एक बार पृथ्वी पर आईं और देखा कि लोग भगवान विष्णु और शिव की पूजा कर रहे हैं। उन्होंने भी दोनों देवताओं की संयुक्त पूजा करने की इच्छा व्यक्त की। यह सोचकर उन्होंने आंवले के वृक्ष के समक्ष उनकी पूजा की। उनकी भक्ति देख कर विष्णु और शिव जी प्रकट हुए और देवी लक्ष्मी ने उनके लिए भोजन तैयार किया। तभी से कार्तिक शुक्ल नवमी पर अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाने लगा।

अक्षय नवमी का पुण्य फल

अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन की गई पूजा का फल दोगुना मिलता है, जिससे यह दिन और भी विशेष हो जाता है।
 

 

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