शारदीय नवरात्रि का पर्व सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान, भक्त मां दुर्गा की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं। हर साल, मास की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है, जो नवमी तिथि पर समाप्त होती है। इस वर्ष, शारदीय नवरात्र का आरंभ 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक मनाई जाएगी।
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष फलदायक माना जाता है। हालांकि, इस पाठ में कई लंबे अध्याय होते हैं, जिससे इसे करना कठिन हो सकता है, खासकर व्यस्त जीवनशैली वाले लोगों के लिए।
यदि आप भी समय की कमी के कारण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो चिंता न करें। हम आपको एक सरल स्तोत्र के बारे में बताएंगे, जिसका जाप करके आप दुर्गा सप्तशती के पाठ के समान फल प्राप्त कर सकते हैं। आइए, जानें कि कम समय में आप कैसे इस पवित्र पाठ का पूरा लाभ उठा सकते हैं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ: समय और लाभ
दुर्गा सप्तशती के पाठ में अर्गला, कीलक, और 13 अध्याय शामिल हैं, जिन्हें पूरा करने में लगभग 3 घंटे का समय लग सकता है। इस पाठ का एक महत्वपूर्ण नियम है कि सभी अध्यायों का पाठ 1 से 9 दिनों के भीतर करना अनिवार्य है। इसके साथ ही, पाठ के दौरान आपको एक बार भी उठना नहीं चाहिए, अन्यथा पूजा का फल नहीं मिल पाता।
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि यदि किसी कारणवश कोई व्यक्ति दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पा रहा है, तो उसे कवच और अर्गला कीलक का पाठ करने के बाद सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का जाप करने की सलाह दी जाती है। यह माना जाता है कि जो लोग सच्चे मन से सिद्ध कुंजिका का पाठ करते हैं, उन्हें दुर्गा सप्तशती के पाठ के समान फल प्राप्त होता है। यह उपाय भगवान महादेव ने मां पार्वती को बताया था।
सिद्ध कुंजिका के लाभ
अगर कोई व्यक्ति कवच और अर्गला कीलक का पाठ नहीं कर सकता, तो वह सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकता है। धार्मिक मान्यता है कि इस स्तोत्र के जाप से संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल मिलता है।
मान्यता है कि जो लोग नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के समक्ष बैठकर सिद्ध कुंजिका का पाठ करते हैं, मां जल्दी प्रसन्न होती हैं, और उनके जीवन में आ रही समस्याएं धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं।