हिंदू धर्म में देव दीपावली का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो दिवाली के 15वें दिन पड़ता है। पुरानी कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था।
इस दिन को विशेष रूप से पूजा-पाठ और वैदिक मंत्रों के जाप से दोगुना पुण्य प्राप्ति का दिन माना जाता है। साथ ही, यह दिन भगवान शिव के पुत्र, भगवान कार्तिकेय की जयंती का प्रतीक भी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन सभी देवी-देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों के दुखों को दूर करते हैं।
भारत में देव दीपावली मुख्य रूप से वाराणसी के गंगा घाटों पर बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और यह माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मानसिक शांति और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। इस दिन, खासकर कार्तिक पूर्णिमा के समय, स्नान और दान करने से पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है।
देव दीपावली 2024 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी, और इसका समापन 16 नवंबर 2024 को रात 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है, जिसके अनुसार इस वर्ष देव दीपावली 15 नवंबर को मनाई जाएगी।
देव दीपावली 2024 का शुभ मुहूर्त
15 नवंबर को प्रदोष काल (शाम का समय) में 5 बजकर 10 मिनट से 7 बजकर 47 मिनट तक का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस समय को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, और गंगा घाटों पर इस समय दीप जलाकर पूजा की जाती है।
देव दीपावली के दिन क्या करें?
1. सुबह का स्नान: देव दीपावली के दिन गंगाजल मिलाकर स्नान करें। यह दिन पवित्रता और शुद्धता को बढ़ाने का होता है।
2. गंगा स्नान: इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। अगर संभव हो तो गंगा के तट पर जाकर स्नान करें।
3. दीपदान: साफ कपड़े पहनकर दीपक में घी या तेल डालकर उसे दान करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. भगवान शिव की पूजा: इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें और उनके चरणों में आशीर्वाद प्राप्त करें।
5. दीप जलाना: शाम के समय दीपक जलाकर दीपदान करें और वातावरण को रोशन करें।
6. मंत्र जाप और आरती: पूजा के बाद मंत्र जाप करें और भगवान की आरती उतारें।
देव दीपावली क्यों मनाई जाती है?
देव दीपावली को लेकर एक प्रमुख धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सभी देवता दिवाली मनाते हैं। यह पर्व त्रिपुरासुर के वध के बाद शुरू हुआ था। कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, तब देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर खुशी मनाई थी। तभी से यह परंपरा बन गई कि हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दीपावली के रूप में मनाया जाए।
इस दिन देवता अपनी दिव्य शक्ति का अनुभव करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों के दुख दूर करते हैं। इसलिए यह दिन विशेष रूप से पुण्य और आशीर्वाद प्राप्ति का होता है। देव दीपावली एक बहुत ही पवित्र और धार्मिक पर्व है, जो हमें अच्छाई की विजय, आत्मशुद्धि और ईश्वर की कृपा की ओर मार्गदर्शन करता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों और पूजा से आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।