वो दिन आज का ही था. अचानक ही ऐसी खबर आई थी कि पूरे देश में हलचल मच गई थी. हर तरफ आक्रोश और गुस्सा था क्योकि धोखे से कत्ल कर दिए गये थे कमलेश तिवारी. ये वो नाम थे जो अक्सर हिंदुत्व के उग्र चेहरों में गिने जाते थे. समाजवादी पार्टी की सरकार में इनके मात्र एक बयान पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गई थी. आज कमलेश तिवारी बलिदान दिवस सुदर्शन परिवार उनको शत शत नमन करता है.
तब से ये आतंकियों के निशाने पर थे और लगातार इनको मारने का प्रयास किया गया. इनको सुरक्षा के तौर पर पुलिसकर्मी भी मिले थे लेकिन बाद में इनकी सुरक्षा कम कर दी गई और वही वजह बनी थी इनकी निर्मम हत्या की. लखनऊ पुलिस की भी लापरवाही सामने आई थी. यद्दपि बाद में गुजरात पुलिस ने हत्यारों को पकड़ लिया था.
इस हत्याकांड के बाद ये माना जा रहा था कि सरकार हिन्दू और हिंदुत्व की आवाज उठाने वालों की सुरक्षा को बढ़ाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आज सोशल मीडिया पर कमलेश तिवारी के समर्थक उनको याद कर रहे हैं. सदैव भगवा पहन कर सामने आने वाले कमलेश तिवारी ने हिन्दू महासभा से अलग हो कर हिन्दू समाज पार्टी बनाई थी.
इनको कत्ल करने वालों में ये साहस नहीं हुआ था कि वो सीधे खुल कर अपने असली रूप में सामने आयें. उन्होंने भगवा वस्त्रों का सहारा लिया और इतना ही नही बाकायदा फेसबुक से ले कर सामने तक हिन्दू नाम की ID और पहिचान पत्र बनवाये गये थे. इनको सामने से लड़ने की चुनौती नहीं दी गई थी बल्कि मिठाई खिलाने के बहाने मारा गया था.
अजनबी को भी शरण देने और सब पर विश्वास कर लेने की पूर्व में भी हिन्दू सम्राटो की भूल इन पर भी भारी पड़ी और इनकी निर्मम हत्या आज ही के दिन हुई. इनकी हत्या पर भी राजनीति हुई और हत्यारों को बचाने के लिए राजनेताओं को भी उतरते देखा गया जिसमे आरोप इनके ही गांव के एक पैत्रिक पडोसी पर लगाया गया था.
लेकिन आखिरकार सच सामने आया था और इनकी हत्या में न सिर्फ 2 दुर्दांत हत्यारे शामिल मिले थे बल्कि कई मजहबी नाम भी सामने आये थे जिसमे वकील तक के तार जुड़े मिले थे. धर्म की आवाज उठाने से कभी भी विचलित नही होने वाले और उसी वजह से मजहबी आतंकियों के हमले का शिकार बने कमलेश तिवारी का आज बलिदान दिवस है. सुदर्शन परिवार उनको शत शत नमन करता है.