विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत खुद को विश्व मित्र के रुप में स्थापित कर रहा है और हम और अधिक लोगों के साथ मित्रता करना चाहते हैं। उन्होंने श्रीराम चौलिया की किताब “फ्रेंड्स: इंडियाज क्लोजेस्ट स्ट्रैटेजिक पार्टनर” के विमोचन पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि दोस्ती हमेशा सीधी और सरल नहीं होती। एक अपूर्ण और प्रतिस्पर्धी व्यवस्था में हमें दोस्तों के बारे में विचार करने की आवश्यकता है।
एस जयशंकर ने क्या कहा?
एस जयशंकर ने कहा कि मित्रता कभी अनन्य नहीं होती विशेषकर आज की बहुध्रुवीय दुनिया में। विदेश मंत्री ने कहा कि कभी-कभी दोस्तों के दूसरे दोस्त होते हैं जो जरुरी नहीं कि हमारे हों और यह पुरानी और नई वैश्विक व्यवस्था के बीच का अंतर दिखा सकता है। जयशंकर ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये देश इतिहास की झिझक को दूर करने का उदाहरण हैं। साथ ही, उन्होंने भारत के रुस और फ्रांस के साथ संबंधों को बहुध्रुवीयता के बयान के रुप में वर्णित किया।
साझा हितों के आधार पर होती है दोस्ती
जयशंकर ने कहा कि हमारे पास कुछ दोस्त ज्यादा जटिल हो सकते हैं। सभी के साथ आपसी सम्मान और कूटनीतिक शिष्टाचार साझा नहीं होता। संप्रभुता और क्षेत्रीय अंखडता जैसे मसले महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा कि दोस्ती आपसी सम्मान, समझदारी और साझा हितों के आधार पर होती है। विदेश मंत्री ने कहा कि दोस्ती तब बढ़ती है जब आपसी हित जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े देश के लिए दोस्ती बढ़ाना कभी आसान नहीं होता। भावनाएं और मूल्य महत्वपूर्ण होते हैं, किंतु संबंध साझा हितों पर ही आधारित होते हैं।