वो दिन आज का ही था.आज के बाद रच डाली गई थी कई भगवा वेषधारी हिंदुओं की जिंदगी तबाह करने की पूरी पटकथा और साजिश रच दिया कई सैन्य अधिकारियों के साथ साधु संतों की जिंदगी तबाह करने की योजना. आज न्याय मांग रहे कुछ लोगों ने उस समय किए गए अन्याय पर आज तक माफी नहीं मांगी है..18 मई 2007 की दोपहर के करीब 1 बजकर 15 मिनट का समय था, भग्य नगर जो वर्तमान में हैदराबाद के चार मीनार के पास स्थित मस्ज़िद में लोग जुमे की नमाज़ के लिए जुटे थे.
मस्जिद में उस वक्त तकरीबन 5000 लोग मौजूद थे. तभी वज़ुखाने में पाइप बम के ज़रिए धमाका किया गया. धमाके के साथ ही मस्जिद में अफरा-तफरी मच गई. धमाके में 8 लोगों की मौत हो गई और 58 लोग घायल हुए. ब्लास्ट के बाद पुलिस ने मौके को संभालने के लिए हवाई फायरिंग की, जिसमें 5 लोग और मारे गए. बाद में मक्का मस्जिद में तीन बम और मिले. दो तो वज़ुखाने के पास ही मिला और एक बम मस्जिद दीवार के पास पाया गया था.
11 साल बाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में स्वामी असीमानंद समेत सभी बेगुनाहों को बरी कर दिया गया .. भगवा आतंक की रची गई आधार हीन और काल्पनिक कहानी दफन हो चुकी है.. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी किया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद हिंदू समाज ने ऐसी निकृष्ट साजिश रचने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है.वजह, यूपीए सरकार द्वारा ब्लास्ट की इस घटना को ‘भगवा आतंकवाद’ का नाम दिया गया था. दरअसल, पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अगस्त 2010 में इस मामले में बयान देते हुए कहा था, “देश के कई बम धमाकों के पीछे भगवा आतंकवाद का हाथ है.
भगवा आतंकवाद देश के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहा है.” अब, बदले समय और हिंदू समाज मे आई जागृति के बाद वही कांग्रेस सरकार इस फैसले के बाद ‘भगवा आतंक’ के मुद्दे से किनारे करते हुए कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कह रही है. कांग्रेस कोर्ट ने फैसले के बाद ‘भगवा आतंकवाद’ के कॉन्सेप्ट को नकारते हुए कहा है कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता है. पार्टी ने साफ किया कि उसके नेता राहुल गांधी या पार्टी ने कभी ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. आतंकियों का खुला समर्थन करने वाला ओवैसी तो बदहवासी में केंद्रीय जांच एजेंसी पर ही सवाल उठाने लगा है.
ब्लास्ट के मामले में सबसे पहला शक इस्लामिक चरमपंथी संगठन हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी पर उठा, जिसके बाद भाग्यनगर हैदराबाद पुलिस ने लगभग 50 से ज़्यादा मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया. उनमें युवकों में से 21 युवकों के खिलाफ आरोप पत्र भी दायर किए गए थे. बाद में पूरी सोची समझी साजिश के चलते हिंदू समाज और भारतीय फौज ओर आघात करते हुए जून 9, 2007 को यह मामला सीबीआई को ट्रांसफर किया गया, जिसके बाद सीबीआई ने 19 नवंबर 2010 को ‘अभिनव भारत’ नाम के संगठन से जुड़े स्वामी असीमानंद को गिरफ्तार किया.
पहली चार्टशीट में असीमानंद सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू विचार मंच से जुड़े लोगों को आरोपी बनाया गया. वोट बैंक के लालच में अपने ही देश की ऐसी बेइज्जती करवाई गई दुनिया भर में कि जब भारत पाकिस्तान से दाऊद इब्राहिम मांगता था तो पाकिस्तान भारत से कर्नल पुरोहित को मांगता था.
आज उन सभी निर्दोष हिन्दू साधु संतों और सैनिक अधिकारियों को सुदर्शन न्यूज उनके द्वारा झेली गई अहसनीय पीड़ा के बाद भी न विचलित होने पर नमन करता है .. यहां ये ध्यान रखने योग्य है कि उस समय सिर्फ सुदर्शन न्यूज ने लगातार इन सभी निर्दोषों के लिए तब तक आवाज उठाई जब तक इनमें से एक एक को न्याय नहीं मिल गया.